पूर्णिया का प्रशासन मौन: सड़क बनी बथान

पूर्णिया/बिहार- अगर आपको पूर्णिया से धमदाहा रुपौली , या फिर मधेपुरा , सहरसा , सुपौल का सफर करना हो या फिर करते है। तो एक बात ध्यान जरूर रखिये आपको ट्रैफिक नियमों के हिसाब से नही आपको सड़क पर सूखा रहे मकई के किसानों के नियम से चलना होगा अगर आप थोड़ा भी किसानों के नियमो से हटे या खिलाफ गए तो आपको सजा भुगतनी होगी । पुलिस और प्रशासन की हो रही लगातार लापरवाही के कारण अब किसान बीच सड़क पर ही थ्रेसर लगाकर मकई तैयार कर रहे है। चाहे वो स्टेट हाइवे हो या फिर सहायक सड़क ।
किसान को क्या फर्क पड़ता है उसे जहां जगह मिली वंही अपने फसल की तैयारी में जुट गए। सोचना तो सरकार को है कि इस बारिश के मौसम में आपने किसानों के फसल तैयारी के लिए क्या व्यवस्था की है? सड़क पे सुखा रहे मकई, ये वो किसान है। जिनके पास अपना पर्याप्त जगह नही है। ये छोटे और गरीब किसान है। बीघा दो बीघा वाले । ये सड़क पर मकई सुखाना किसानों की मनमर्जी नही मजबूरी है।
इस समय सड़क पर मक्का किसानों का कब्जा हैं। जहां तक मक्का सुखाने के लिए सड़कों पर बिछाया जाता है उसके किनारों पर बड़े-बड़े लकड़ी एवं पत्थर से घेर दिया जाता है जिस कारण इन सड़कों पर हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है। सफर के दौरान अगर वाहन का कोई भी पहिया सिर्फ मक्के में सट भर जाता है तो मक्का सुखाने वाले वाहन चालक के साथ गाली-गलौज एवं मारपीट तक पर उतारू हो जाते हैं। सड़क पर मक्का सुखाने के कारण पिछले दो वर्षों में एक दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं घट चुकी है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इस पूरे मामले की जानकारी नहीं है। प्रशासनिक पदाधिकारी भी रोजाना इन सड़कों से गुजरते हैं बावजूद इसके कोई कार्रवाही नहीं की जा रही है।

-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट

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