पश्चिमी सरहद पर नवरात्रि महोत्सव में देविय चमत्कार की उम्मीद:मातेश्वरी तनोटराय माता ने पाकिस्तानी सेना को हमेशा चटाई है धूल

राजस्थान/बाड़मेर – बाड़मेर जिले में सुबह घट स्थापना के साथ ही चैत्र मास के नवरात्रों की धूम शुरू हो गई है। आगामी नौ दिनों तक बाड़मेर जैसलमेर सरहदी क्षेत्रो के ग्रामीण देवी भक्त आराधनाएं करने में लीन रहेंगे. जिले के सभी शक्तिपीठों में देवी भक्ति, गली मोहल्लों के घर घर में धूमधाम से तथा पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद पर स्थित मातेश्वरी तनोटराय के मंदिर,तैमडेराय मन्दिर,चालकना गांव में स्थित चालकनैची मंदिर में नवरात्रि का मेला पिछले साल की तरह सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस बार भी सुरक्षा व्यवस्था के तहत भरा जाएगा‌। पिछले दिनों से ही मंदिर स्थलों पर जोर शोर से तैयारियां शुरू की गई. वहीं देवी मंदिरों को भी आकर्षक रूप से सजाने के साथ साथ नवरात्रि की तैयारियां पूरी कर ली गई है।

दरअसल सुबह शक्तिपीठों के साथ ही कोराना भड़भड़ी के कारण घर-घर में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना किये जा रहे है। सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में घट कलश स्थापना के साथ ही नौ दिवसीय मेला सुरक्षा व्यवस्था देखने के बाद प्रारम्भ हो गया। देश की पश्चिमी सीमा के निगेहबान जैसलमेर जिले की पाकिस्तान से सटी सीमा बना बना यह तनोटराय माता का मंदिर अपने आप में अद्भुत मंदिर हैं। सीमा पर बना यह मंदिर देशभर ओर विदेशी श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र के साथ साथ भारत पाक के 65 व 71 के युद्ध का मूक गवाह भी है। ये मातेश्वरी तनोटराय के चमत्कार ही है, जो आज इसे श्रद्धालुओं और भारतीय सेना के जवानों के दिलों में विशेष स्थान दिलाये हुए है। सुबह आरती के दौरान समूचा मंदिर परिसर कोवीड भड़भड़ी की सुरक्षा व्यवस्थाओं को देखते हुए
खचाखच भर गया। आरती के पश्चात माता के भण्डारे में सैंकड़ों श्रृद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया जाता है लेकिन इस बार यह सुविधा भक्तों को मिलना मुश्किल होगी। मातेश्वरी तनोटराय के प्रति बढ़ती आस्था इस बात का प्रमाण है कि दूर दराज से सैंकड़ों श्रृद्धालु पैदल यात्रा कर मातेश्वरी तनोटराय के दरबार में पहुंचते हैं।

मेले के मद्देनजर तनोटराय में प्रसादी की स्थाई व अस्थाई दुकानें सज गई हैं। सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से तथा श्रृद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए तनोट में सुरक्षाकर्मियों द्वारा कड़े इंतजाम किए गए है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पुलिस कर्मी तैनात है। घण्टियाली माता मंदिर में घट कलश स्थापना के साथ हवन किया गया जिसमें श्रृद्धालुओं ने आहुतियां दी तथा आरती में शरीक हुए, इसके अलावा तनोटराय सड़क मार्ग पर कस्बे से 17 किमी दूर स्थित तनोट माता मंदिर तथा रामगढ़ में स्थित तैमडेराय ओर काले डूंगरॉय मंदिर में हुए हवन में भक्तों ने आहुतियां दी। तनोटराय सड़क मार्ग पर पैदल जाने वाल भक्तों की सुविधाओं के लिए माता के भक्तों ने निशुल्क भण्डारे लगाए है।जहां भक्तों के लिए खाने, ठहरने, चाय व दवाईयों की व्यवस्था की गई है। मेले के मद्देनजर ग्राम पंचायत व जलदाय विभाग के कोराना वारियर्स द्वारा नौ दिन तक लगातार मीठे पानी की टेंकरों द्वारा आपूर्ति की जाएगी।

यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केन्द्र के साथ साथ भारत पाक के 65 व 71 के युद्ध का मूक गवाह भी है। ये मातेश्वरी तनोटराय के चमत्कार ही है जो आज इसे श्रद्धालुओं और भारतीय सेना के जवानों के दिलों में विशेष स्थान दिलाये हुए है. जी हां… यह कोई दंत कथा नहीं है और न ही कोई मनगढंत कहानी है, 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की तनोटमाता ने मां बनकर ही रक्षा करी थी। 65 के युद्ध के दौरान जब शत्रु सेना भारतीय क्षेत्र में काफी अन्दर तक आ गई थी और उस समय इस दुर्गम सीमा क्षेत्र पर सीमित संसाधन होने के कारण भारतीय सेना उनका जवाब देने में कठिनाई महसूस कर रही थी तब तनोटराय माता ने मां बनकर अपने सभी भारतीय सैनिकों की रक्षा की और पाकिस्तानी सेना के हौंसले पस्त करते हुए उन्हें वापिस जाने को मजबूर कर दिया ।

– राजस्थान से राजू चारण

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