पर्यावरण संरक्षण जिम्मेदारी का निर्वाहन जरूरी : धर्मेंद्र कुमार

विश्व पर्यावरण दिवस को सिर्फ एक पौधा लगाने तक सीमित करना नाकाफ़ी

बरेली। विश्व पर्यावरण दिवस का जो प्रथम उद्देश्य है वह पर्यावरण के मुद्दों पर सभी का ध्यान आकर्षित कराना है और सभी लोग पर्यावरण के प्रति जागृत हो ऐसा ध्येय रहता है। लेकिन सिर्फ कुछ लोग ही इसके प्रति जागृत होते है और उसमें से भी अधिकतर लोग सिर्फ एक पेड़ लगा कर के अपनी जिम्मेवारी को पूर्ण समझते है। विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून सिर्फ जागरूकता के उद्देश्य से हो सकता है लेकिन इस पर साल के 365 दिन काम करना होगा। विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य सिर्फ पेड़ लगाना नहीं है। सबसे पहले हमें समग्र रूप से इसके उद्देश्य को समझना होगा। खराब वातावरण से प्राकृतिक अपदाओ जैसे बाढ़, सूखा ,तूफान व बादल फटने में वृद्धि होती है। 2013 में केदारनाथ में आयी भयानक आपदा भी पर्यावरण में असंतुलन का ही परिणाम है। आजकल जो बेमौसम बारिश होती है, सर्दी या गर्मी जो देरी से आती हैं यह सब पर्यावरण में असंतुलन का ही परिणाम है।

समस्त पर्यावरण चुनौतियों को समझने के बाद उनके समाधान के लिए सभी लोगों, समुदायों, संगठनों व सरकार को ठोस कार्यवाही के लिए तैयार रहना होगा। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के साथ साथ कचरा का कम से कम उत्पाद करना होगा, रिसाइकल करना होगा, प्लास्टिक तथा प्लास्टिक से बने उत्पादों का बहिष्कार करना होगा, सरकार को भी चाहिए के ऐसे प्रोडक्ट जो एक बार उपयोग में आते है, प्लास्टिक से बने होते है उनका उत्पादन रोके। ऊर्जा का संरक्षण करना होगा ,सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों का प्रयोग करना होगा, जो बाजार में फाइव स्टार रेटिंग के उत्पाद होते हैं उनका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना होगा। उपयोग में ना होने पर रोशनी तथा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बंद करना होगा, सौर तथा पवन ऊर्जा जैसे ऊर्जा स्रोतों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा, पानी का संरक्षण करना होगा, घर में कोई भी पानी का रिसाव है उसे ठीक कराना होगा, कम से कम पानी का प्रयोग, एयर कंडीशनर तथा आर ओ से निकलने वाली पानी का पुनः प्रयोग जैसे बर्तन या पौछे में, पौधो में पानी लगाने में करना होगा। पानी से गाड़ी धुलने आदि को रोकना होगा। हर मकान में वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना होगा। ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना होगा पैदल चलने,साइकिल चलाने, कारपूलिंग आदि का उपयोग करना होगा।

खेती करने में ज्यादा से ज्यादा हमको कुशल सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा जिससे पानी का कम से कम खर्च हो और ज्यादा से ज्यादा पैदावार मिले, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और रसायनों का उपयोग कम से कम करना होगा जिसे मिट्टी का कटाव कम से कम हो और पानी का संरक्षण ज्यादा से ज्यादा हो। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे जैसे पीपल,बरगद,नीम,आम आदि।

सरकार पुराने वाहनों पर रोक लगाकर, डीज़ल से चलने वाले वाहनों को कम करके, ईंधन उत्सर्जन मानको को बी एस 4 से बी एस 6 करके, इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स तथा सोलर पावर सिस्टम को बढ़ावा देकर , सब्सिडी देकर अपना कार्य कर रही है जरुरत है कि हर व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में इसको अपनाएं। पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य करना होगा , विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों अभियानों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाना होगा।
अभी भी वक्त है संभलने का, जागरूक होने का, अगर हमने अभी पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया तो हो सकता है कि हमारे पास समस्त भौतिक साधन उपलब्ध हो जाए, आने वाली पीढ़ियों को हम बड़े-बड़े घर दे दे लेकिन उन घरों में स्वच्छ हवा नहीं होगी, घरों के ऊपर पानी की टंकियां तो होंगी लेकिन उनमें पानी नहीं होगा, आबादी तो होंगी लेकिन स्वस्थ नहीं होंगी और आने वाली पीढ़ियां हमें माफ़ नहीं करेंगी

बीइंग स्पिरिचुअल फाउंडेशन के संस्थापक एवं स्पिरिचुअल वैलनेस कोच धर्मेन्द्र कुमार की कलम से।

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