न्यायालय न होता तो देना होते 99 हज़ार रुपए

*जहां हम स्वाधीनता के अमृत महोत्सव मना रहे है वही अधिकारियों के लापरवाही ने आम आदमी को पहुंचा दिया हॉस्पिटल

सेवापुरी/वाराणसी- सेवापुरी क्षेत्र के कालिका बाजार निवासी गोपाल प्रसाद गुप्ता ने सन् 1997मे मैक्सी कैब गाड़ी लोन पर खरीदा ,लोन टूटने पर गाड़ी निलाम करने की प्रक्रिया शुरू हुआ गोपाल ने निलामी प्रक्रिया रोकने के लिए याचिका हाईकोर्ट में लगाई, हाईकोर्ट ने 80 हजार रूपये जमा करने का आदेश देते हुए निलामी प्रक्रिया रोकने के आदेश किया।
सम्बंधित अधिकारियों ने गाड़ी दूसरे व्यक्ति को निलाम कर दिया जिसका विक्रय पत्र भी तैयार हो गया।
25बर्ष बाद गोपाल के पैर की जमीन खिसकने लगी जब क्षेत्रीय अमीन के द्वारा 99हजार रुपये के वसूली का दबाव बनाया जानें लगा प्रार्थी ने जिला धिकारी वाराणसी, आर टी ओ भदोही के यहां अपनी बात रखी कि जब हम गाड़ी के मालिक ही नहीं है तो 99हजार टैक्स किस बात का दें।
कोई सुनवाई न होने के बाद याची ने हाईकोर्ट की शरण ली, हाईकोर्ट ने याची के अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्र के दलील सुनने के बाद जिलाधिकारी वाराणसी व परिवहन अधिकारी भदोही से ब्यक्तिगत हलफनामा लगाने का आदेश किया ।
मामले की गम्भीरता देखते ही अधिकारियों ने वसूली प्रमाण पत्र ही वापस कर लिया और श्वीकार किए की गलत वसूली प्रमाण पत्र जारी हो गई है।
प्रश्न ये गंभीर है अगर गोपाल हाई कोर्ट की शरण न लेता तो 99हजार रूपए देना ही होता। जैसा बताया जा रहा हैं अभी भी गोपाल प्रसाद हॉस्पिटल में ही है।

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