नवमी पर घर-घर जिमाई गई कन्याएं, मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

बरेली। शारदीय नवरात्र के समापन पर दुर्गा नवमी को शहर, कस्बा सहित ग्रामीण अंचल में श्रद्धालुओं ने मां सिद्धदात्री की पूजा-अर्चना की। भक्तों ने श्रद्धा के साथ घरों में कन्या लांगुराओं को भोजन कराकर दक्षिणा देकर व्रत खोले। शहर से लेकर देहात के मंदिरों पर विशेष पूजा अर्चना की गई। इस पर्व के अवसर पर कालीबाड़ी स्थित मां कालीमंदिर मंदिर, साहूकारा स्थित नव दुर्गा मंदिर, नेकपुर स्थित माता ललितादेवी मंदिर, सुभाषनगर बदांयू रोड स्थित 84 घण्टा देवी मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में विशेष पूजा आराधना नौ दिन तक चली। अंतिम दिवस में नवमी पर कालीबाड़ी स्थित माता कालीमंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता पूजन के लिए पहुंचे तथा हवन में पूर्णाहुति देकर पूजा अर्चना की। यहां कन्याओं का पूजन भी किया गया। नेकपुर स्थित माता ललितादेवी में सुबह से ही लंबी कतार देखने को मिली। मेले में बच्चों व बड़ों के लिए सुंदर सुंदर बस्तुओं की दुकानें आकर्षक का केंद्र रही। सुबह से ही साहूकारा स्थित नवदुर्गा मंदिर में भक्तों की भीड़ नजर आई। वह माता रानी को प्रसाद चढ़कर अपनी मनोकामना मांग रहे थे। व्रत खोलने से पहले कन्या को भोज करते है। जिसको लेकर कन्याओं की कमी पड़ गई। उन्हें जिमाने के लिए लोगों मे होड़ रही। एक दूसरे के घरों पर जाकर कन्या को साथ में लेकर घरों में उन्हे जिमाया जा रहा था। सुबह से ही लोग कन्याओं को खिलाने के लिए पकवान बनाने की तैयारी में जुटे हुए थे। देवी रूपी कन्याओं को हलवा पुरी आदि का भोग लगाया गया। नौ देवियों के रूप में नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है। ये नौ कन्याएं नौ देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप मानी जाती है। प्रत्येक कन्या का पूजन परोक्ष रुप से एक देवी का पूजन होता है। दो साल की बच्ची कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शांभवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की सुभद्रा का स्वरूप मानी जाती है।।

बरेली से कपिल यादव

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