त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बजा बिगुल, पंचायत चुनाव को युवा बना रहे रोजगार का साधन

बरेली। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के बाद अलग अलग पदों पर चुनाव लडने को तैयार प्रत्याशियों ने युद्व स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। इन दावेदारों के पास गांव को और सुदृढ़ करने के लिए न कोई योजना है और न ही किसी प्रकार का मुद्दा, फिर भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाकर मालामाल होने और पांच साल के लिए रोजगार का सुख भुगतान के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे है। एक एक वोटर को रिझाने और मनाने के लिए नये नये पैंतरे चले जा रहे है। चुनाव में हर संभव जीत पक्की करने के लिए मजदूरों का भी सहारा लिया जा रहा है। जिले की ग्राम पंचायतों में सदस्य पद के प्रत्याशी गांव में रह रहे मजदूरी करने वाले युवाओं को चुनाव प्रचार में जुटने का आग्रह कर रहे है। इसके बदले में उनको तीन से चार सौ रूपए हर दिन मुहैया कराए जा रहे है। 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव होना तय है। इस बार चार पदों के लिए एक ही दिन मतदान होना है। सरकार से 20 मार्च तक अधिसूचना जारी होने की संभावना जताई जा रही है। पंचायती राज विभाग व प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद तहसील स्तर पर आपत्तियां मांगी जा रही हैं। गांव में वोटरों को लुभावने के लिए तरह तरह से वायदे किए जा रहे हैं। अलग अलग पदों पर चुनाव की तैयारी में लगे प्रत्याशी अपने पक्ष मेंं चुनाव प्रचार कराने के लिए मजदूरों का सहारा ले रहे हैं। खासकर ऐसे मजदूर जो मनरेगा से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा गांव में ऐसे मजदूरों को प्रचार में जोड़ा जा रहा है जो अड्डो पर मजदूरी के लिए जाते है। युवा उम्मीदवारों का तर्क है कि ये लोग सरकारी नौकरी करने के बाद युवाओं को मौका दें। इससे बेरोजगार युवा कम से कम पांच साल तक पंचायत प्रतिनिधि होने के साथ रोजगार हासिल कर सकें। हर पंचायत के हर गांव में कुछ ऐसे ही युवा लोग हैं जो अपने रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। वे इस बार अपनी किस्मत अजमाने के लिए चुनावों में उतर रहे है। पंचायत चुनाव में प्रत्याशी पद के दावेदार चुनाव जीतने के लिए दिन रात एक किए हुए है। सुबह नौ बजे से ही गांव की गलियों और चौपाल पर चुनावी गतिविधियां शुरू हो जाती है। तड़के ही प्रत्याशी मजदूरों को अपने पक्ष में प्रचार कराने के लिए उनके द्वार तक पहुंच रहे हैं। खासकर उन मजदूरों को अपनाया जा रहा है जो गांव में रहकर मनरेगा व अड्डो पर जाकर मजदूरी करते हैं। न्यूनतम मजदूरी तय करकेप्रचार में जुटाए जा रहे है। पंचायत चुनाव के चलते मजदूरों की बल्ले बल्ले हो रही है। अलग अलग पदों पर चुनाव लडने वाले प्रत्याशी अपने परिचित नाते रिश्तेदार के अलावा गांव में रहने वाले मजदूरों को भी अपने साथ में लेकर गांव की गलियों में हर घर में प्रचार कर रहे है। प्रचार में लगे मजदूरों को सुबह का नाश्ता फ्री और शाम को दावत, दारू की पार्टी मुहैया करवाई जा रही है।।

बरेली से कपिल यादव

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