जमीन भी घाघरा की भेंट चढ़ गई:परिवार को मात्र मजदूरी का सहारा

•एक तो घाघरा का कहर,दूजे मौसम में बारिश की मार
सेवता(सीतापुर)घाघरा/शारदा ने प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी रेउसा विकास खण्ड के गांजरी इलाके में अपना खूब सितम झुग्गी,झोपड़ी,पक्के मकानों,जमीनों,फसलो पर ढहा रही है।बाढ़ के भय से इलाके की,मारूबेहड़ सीतापुर बहराइच हाइवे,ग्रामीण अंचलों की सड़कें एक मात्र लोगो का फरिस्ता के रूप में सहारा बनकर किनारे-किनारे वस्ती का रूप लेती जा रही है।जो कि देखा जा रहा है।अब हम बात करते है।गवलोक कोडर के मजरा श्याम नगर बाढ़ प्रभावित की।जो कि हर वर्ष गांव के अंदर से लेकर घरो तक बाढ़ का पानी भर जाता है।जो कि एक वक्त की रोटी बनाने की जमीन नही बचती है।गांव के लोग हर साल पड़ोस की सड़कों पर सरन लेते।बता दे।कि श्याम नगर निवासी सुदामा का परिवार बाढ़ के भय से चहलरी हाइवे रोड किनारे पर मड़ैया डाल रखी।विगत दिनों रविवार को हो रही मुश्लाधार बारिश में सुदामा की पत्नी विदेशिया अपने बचचे,विंदू15वर्ष,लाची10,प्रिंयका8,नेहा2वर्ष के साथ एक पन्नी के नीचे वैठा परिवार वारिश से बचने का प्रयास कर रहा था।नेहा किसी चीज की जिद कर रही थी।उसको अनेको बातों से समझा रही थी।कि बेटा चुप हो जाओ पापा शाम को बाजार से चीज ला देंगे।बारिश/हल्की हल्की हवाओ के कारण मौसम की मार इतनी तेज थी।कि समस्त परिवार भीगकर ठिठुर रहा था।पन्नी भी इतनी मजबूत नही थी।जो साथ निभा सके। साथ छोड़ने को मजबूर हो रही थी।परिवार को मौसम रुला रहा था। जब उनके परिवार से बात की गई।तो सुदामा की पत्नी विदेशिया बोली जब जब बाढ़ आती। बाढ़ में गांव में पानी भर जाता।तब यही सरन लिया जाता।खेती पाती कई वर्ष पहले ही घाघरा में समाहित हो गई।मात्र मजदूरी का सहारा है।इस समय पानी बाढ़ का गांव के अंदर तो नही।आकर निकल गया।पर नदी का जलस्तर रोज घटना बढ़ना हम लोगो की मुसीबत बना हुआ है।कब कितने खन बाढ़ आ जाय।कुछ पता नही।बरसात का पानी अब भी गांव के अंदर भरा है।न ऊंचे सकून न नीचे घर मे सकून।
– संवाददाता सचिन सक्सेना सेवता सीतापुर

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