गुरु गोविंद सिंह महाराज के 353वें प्रकाश पर्व को बड़ी श्रद्धा सत्कार से मनाया

आजमगढ़- सिख समुदाय के 10वें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के 353वें प्रकाश पर्व को श्री सुंदर गुरुद्वारा साहिब में बड़ी श्रद्धा सत्कार से मनाया गया। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में श्री सुंदर गुरुद्वारे में सहज पाठ रखा गया जिसकी सुबह 9:30 बजे समाप्ति की गई। इसके उपरांत कीर्तन दरबार दोपहर 3:00 बजे तक गुरु वाणी द्वारा संगत निहाल हुई। समाप्ति के उपरांत कड़ा प्रसाद व अटूट लंगर बरताया गया तथा शंकर जी फौव्वारे के पास सुबह से अटूट लंगर प्रसाद बरताया गया। जिसमें सभी लोगों ने तन मन धन से सेवा की। सिख परिवारों में सुबह से ही उत्साह का माहौल था। स्नान आदि के बाद सुंदर वस्त्र धारण कर हर कदम चल पड़े थे गुरुद्वारे की ओर। गुरु दरबार में लोगों ने हाजिरी लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। मौका था दसवें और अंतिम गुरु गोविद सिंह का 353वां प्रकाशोत्सव का।श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्म पौष सुदी सप्तमी संवत 1723, 22 दि0 1666 श्री तेग बहादुर गुरु तेग बहादुर जी के घर माता गुजरी जी के उदर से पटना साहिब बिहार में हुआ। आनंदपुर साहिब में पढ़ाई के साथ शस्त्र विद्या में महारत हासिल किया आप साहित्य के बहुत बड़े प्रेमी थे आप के दरबार में 52 कवि थे संत 1699 में गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की उन्होंने जातियों का भेदभाव मिटाकर अमृत पान कराकर पंज प्यारे सजाए फिर उन्हीं से अमृत पान करके गोविंद राय से गुरु गोविंद सिंह बन गया उन्होंने मानवता धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया। सुंदर गुरुद्वारे में सुबह से ही लोगों के पहुंचने का सिलिसला शुरू हो गया था। यहां पहुंचने वाले किसी भी धर्म से जुड़े हों सबसे पहले सिर ढककर गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष शीश झुकाया। जिसके पास सिर ढकने के लिए साफ रुमाल नहीं थे उसे गुरुद्वारा की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा था। प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में सहज पाठ रखा गया था। सुबह पाठ समाप्ति के बाद तीन बजे तक कीर्तन दरबार सजा जिसमें गुरुवाणी सुन संगत निहाल हो उठी। एक के बाद एक कीर्तन सुनकर लोग आनंदित हो उठे। उसके बाद कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया और उसके बाद लंगर शुरू हुआ जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने बढ़.चढ़कर हिस्सा लिया।
इस बार खास बात यह दिखी कि गुरुद्वारा में पहुंचने वालों के सामने जहां लंगर परोसा गया वहीं जो लोग इस आयोजन इस अनजान थे उनके लिए मातवरगंज तिराहे पर सड़क किनारे मेज लगाकर लंगर की व्यवस्था की गई थी। रास्ते से गुजरने वाले लोगों को रोककर लंगर के रूप में गुरु का प्रसाद दिया जा रहा था।

रिपोर्टर:-राकेश वर्मा आजमगढ़

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