*इस विवादित विधेयक के लिए विपक्षी दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा गहलोत सरकार की काफी निंदा हो रही थी
केकड़ी/राजस्थान- राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विवादास्पद ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की घोषणा की है। इस विवादित विधेयक के लिए गहलोत सरकार की काफी निंदा हो रही थी। दरअसल ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक’ में प्रावधान है कि सभी विवाह का पंजीकरण तो आवश्यक होगा लेकिन इसके साथ ही इसमें यह भी जोड़ दिया है कि पंजिकरण के लिए विवाह के कानूनी उम्र की बाध्यता लागू नहीं होगी। इसका अर्थ यह हुआ कि कानूनी तौर पर विवाह के लिए एक वयस्क पुरूष के उम्र का निर्धारण 21 साल है और युवती के लिए 18 साल है। इस अनिवार्य शर्त से ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक’ को मुक्त रखा गया है यानी इस विधेयक के जरिये बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलने की संभावना दिखाई देती है। यही कारण है इस विधेयक का विपक्षी राजनैतिक दलों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों के द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। बीते सितंबर महीने में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘विधेयक’ में खामी की बात मानी है। विधेयक को वापस लिये जाने की घोषणा करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए विवाह पंजीकरण विधेयक ला रही थी। लेकिन उसमें कुछ खामियां निकली हैं। जिसके कारण राज्यपाल महोदय से आग्रह किया गया है कि वो विधेयक को वापस भेज दें। विधेयक में आवश्यक सुधार करके उशे पुनः पास कराने के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा। मालूम हो कि अशोक गहलोत की सरकार ने बीते 18 सितंबर 2021 को विपक्षी दल भाजपा के विरोध के बावदूज Rajasthan विधानसभा में बाल विवाह पर 2009 के अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित कर दिया था। राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में संशोधन करता है। अभी तक राजस्थान में केवल जिला विवाह पंजीकरण अधिकारी (DMRO) ही विवाहों को पंजीकृत करता था। लेकिन शुक्रवार को पारित विधेयक से अब सरकार को विवाह रजिस्टर करने के लिए अतिरिक्त जिला विवाह पंजीकरण अधिकारी और ब्लॉक विवाह पंजीकरण अधिकारी को नियुक्त करने की शक्ति मिली है। राजनीतिक तौर पर अस्थिर चल रही राजस्थान की गहलोत सरकार विपक्ष को कोई ऐसा विवादित मौका नहीं देना चाहती। जिसकी वजह से सरकार की खिंचाई हो। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के अंदर भी रह-रहकर बगावत की बात उठती रहती है। ऐसे में अशोक गहलोत किसी भी तरह के विवादों से दूर रहते हुए अपनी सरकार को बचाये रखने में लगे हुए हैं।
–तिलक माथुर,राजस्थान