शाहजहांपुर – सरकार कोरोना काल में हुए अनाथ बच्चों के लिए ना केवल उन्हें गोद लेकर उनकी जिंदगी सवार रही है। बल्कि प्रशासन को तुरंत सहायता देने के निर्देश भी दे रही है। लेकिन उन परिवारों का सरकार कुछ नहीं कर कर रही है जिनके परिवार को चलाने वाला ही मुखिया ही चला गया। जी हां हम बात कर रहे हैं शाहजहांपुर की 10 साल की माही की जिसके पापा कोरोना संक्रमण होने से मौत हो गई। मां उर्मिला बीमार है तो वहीं दूसरी ओर बाबा दादी बूढ़े हो चुके हैं। वह परिवार का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में 10 साल की बेटी माही के कंधों पर पूरा परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ गई है। माही सड़क पर शर्टे बेचकर इतना भी कमा नहीं पा रही है कि वह अपने परिवार को चला सके। ऐसे मे पूरा परिवार मुफलिसी में जीने को मजबूर है।
शाहजहांपुर के मोहल्ला खिरनी बाग का रहने वाला यह परिवार संकटो से जूझ रहा है। इस परिवार ने 45 साल के प्रदीप को खोया है। उन्हें कुरोना संक्रमण हुआ जिसके चलते इस पूरे परिवार को चलाने वाला इस दुनिया से ही चला गया। उनकी मौत के बाद बेटी माही अपने बूढ़े बाबा राजकुमार के साथ अब सड़क किनारे शर्ट बेचकर इस परिवार का चूल्हा जला रही है।दरअसल माही के पिता गली के अंदर बनी दुकान मे शर्टे बनाकर पैसे कमाते थे। उनकी मौत के बाद सारा बोझ इस परिवार पर आ पड़ा है। प्रदीप की पत्नी जहां एक और बीमार है तो बूढ़े बाबा दादी भी कुछ कमाई नहीं कर पा रहे हैं। बेटी माही ने इस परिवार को उम्मीदो पर खड़ा कर अपने बाबा के साथ सड़क पर आई है। जहां छठी की कक्षा की पढ़ाई छोड़ कर वह अपने बाबा के साथ सड़क पर बैठ शर्टो को बेचकर सौ डेड़ सौ रुपए कमा कर परिवार को चलाने की ठानी है जहां उसे अभी तक मायूसी ही मिली है लेकिन उसने अभी भी उम्मीदे नहीं छोड़ी है।
दरअसल इस परिवार का दर्द जिसने भी जाना उसके बाद यहां के आस पड़ोसी लोग इस परिवार को कुछ ना कुछ खाध सामग्री पहुंचा कर मदद कर रहे हैं। इस परिवार को ना केवल इस मासूम बच्ची की पढ़ाई के लिए मदद की जरूरत है बल्कि उसकी अच्छी शादी के लिए व्यवस्था करने की जरूरत है। वहीं दूसरी ओर बूढ़े मां बाप को कुछ पेंशन मिलकर मदद मिल सकती है लेकिन अभी तक ना तू किसी समाजसेवी ने ही इस इस परिवार के लिए मदद के हाथ उठाए हैं और ना ही प्रशासन के किसी अधिकारी ने। फिलहाल यह परिवार पिछले 1 माह से मुफलीसी में जीने को मजबूर है।
– अंकित शर्मा, शाहजहांपुर