कोरोना के खौफ में रोजी रोटी को मास्क बने सहारा

बरेली। कोरोना की महामारी से बचाव को मास्क रोजी-रोटी का सहारा भी बन रहे हैं। मास्क बेचकर परिवार के भरण-पोषण में लगे व्यक्ति को संतोष है कि वह लोगों को बीमारी से बचाव के लिए भी सचेत कर रहा है। कोरोना के खौफ में कई लोगों का काम छूट गया लेकिन इसी कोरोना काल में कई गरीबों की दाल रोटी नए सिरे से चल पड़ी है। साइकिल पर छतरी लगाकर मास्क और कपड़े के दस्ताने बेच रहे हैं ताकि बच्चो की दो वक्त की रोटी चल सकें। कोरोना संक्रमण को लेकर लगाए गए 80 दिन के लाभ लॉन में सैकड़ों लोगों को अपना कारोबार समेटना पड़ा है। इससे लाखों मजदूरो से काम धंधा छिन गया दुकानों पर काम करने वालों को दो वक्त की रोटी के लाले भी पड़ गए थे। ऐसे में उन लोगों ने कोरोना की दहशत में अपना धंधा जमा लिया। मजदूरी करने वाले अब साइकिल पर छतरी लगाकर मास्क आदि बेचना शुरू कर दिया है। अब वे रंग बिरेगें मास्क लटकाकर बेच रहे हैं। कलरफुल और डिजाइनर मास्क लोगों को लुभा रहे हैं। शुरूरात में इस मास्क की कीमत करीब सौ रुपये तक थी लेकिन जैसे जैसे अनलॉक हुआ वैसे वैसे इसकी कीमत कम होती चली गई। मौजूदा समय में एन 95 की तरह दिखने वाला मास्क 25 से 30 रुपये में बिक रहा है। इसके अलावा सिंपल कपड़े का मास्क 10 से 20 रुपये तक मिल रहा है। ब्लू कलर का डॉक्टर मास्क भी डुप्लीकेट बिक रहा है। जिसकी कीमत यहां पर 5 से लेकर 10 रुपये तक है। इतने में मास्क बेचने वाले सिर्फ अपने लिए दाल रोटी भर के पैसे जुटा पा रहे है। मांस विक्रेताओं का कहना है कि प्रत्येक मास पर 1 से 4 रुपये तक की बचा पाते है।।

बरेली से कपिल यादव

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