बरेली। बरेली खंड स्नातक एवं शिक्षक विधान परिषद सदस्य चुनाव (एमएलसी) के लिए प्रत्याशी मैदान में उतर चुके हैं। इस बार एमएलसी स्नातक के लिए 15 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे है। विधान परिषद की बरेली मुरादाबाद शिक्षक सीट के लिए चारों पूर्व एमएलसी के मैदान में उतरने से संघर्ष रोचक हो गया है। एक तरफा चुनाव इस बार नहीं होगा। एमएलसी बनने के लिए प्रत्याशी पूरा दमखम के साथ लड़ रहे है। विद्रोही भी इस चुनाव में अपना दमखम दिखाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। चुनाव में शिक्षकों की समस्याएं हवा में है। वोट पार्टी बाजी और व्यक्तिगत रिश्तो की दुहाई देकर मांगे जा रहे हैं। कभी शिक्षक संघ के विभिन्न गुटों तक सिमटा चुनाव अब पूरी तरह राजनीतिक बन गया है। शुरुआत पिछले चुनाव में ही हो गई थी। जब समाजवादी पार्टी के समर्थन से संजय मिश्रा मैदान में उतरे और जीते। इस बार भाजपा और कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। एक दिसंबर को होने वाले मतदान में बरेली मुरादाबाद मंडल के 9 जिलों में 94 मतदान केंद्रों पर 15 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। पहली बार इस चुनाव में चार पूर्व एमएलसी मैदान में है। इस सीट पर अधिकतर माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट का कब्जा रहा है। शर्मा गुट से दो बार एमएलसी रहे सुभाष चंद्र शर्मा को मैदान में उतारा है तो शर्मा गुट से ही एमएलसी रहे रामबाबू शास्त्री भी मैदान में हैं। शास्त्री शर्मा गुट को बरसों पहले छोड़ चुके हैं। पिछली बार समाजवादी पार्टी के समर्थन से जीते संजय मिश्रा तो सपा प्रत्याशी वतौर मैदान में हैं ही। वही शिक्षक विधायक के चुनाव में उतरी भाजपा ने पूर्व एमएलसी डॉ हरि सिंह ढिल्लों को मैदान में उतारा है। इन चार पूर्व एमएलसी के अलावा शर्मा गुट के विद्रोही बरेली के डॉक्टर राजेंद्र कुमार गंगवार भी निर्दलीय मैदान में हैं तो भाजपा से टिकट नहीं मिलने से खिन्न होकर केसीएमटी ग्रुप के बिनय खंडेलवाल और भाजपा से टिकट की उम्मीद में सरकारी नौकरी से वीआरएस लेने वाले आशुतोष शर्मा भी विद्रोही के रूप में मैदान में है। इसके अलावा कांग्रेस के मेहदी हसन निर्दलीय अभिषेक द्विवेदी, हाजी दानिश अली, पीयूष सिंह, पुष्पेंद्र कुमार, बालकृष्ण, महताब अली और सुनीत गिरी भी मैदान में है। अब 9 जिलों की सीट पर शर्मा गुट एक बार फिर वापसी कर पाएगा या संजय मिश्रा अपनी सीट बरकरार रख सकेंगे या पहली बार मैदान में उतरी भाजपा कोई धमाका करेगी या फिर कोई विद्रोही उलटफेर करेगा। यह सब तो एक दिसंबर को ही तय होगा लेकिन एक बात यह है कि चुनाव में शिक्षकों के मुद्दे कहीं चर्चा में नहीं है। पिछले चुनाव से पहले तक शिक्षक एमएलसी राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के टीचर ही चुनते थे। पिछली बार वित्तविहीन माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी वोटर बनने का मौका मिला और नया प्रत्याशी जीता। इस बार डिग्री कॉलेज और कान्वेंट स्कूल के शिक्षक भी वोटर बने है। शिक्षकों की समस्याओं पर कोई चर्चा चुनाव में नहीं हो रही। पार्टीबाजी और व्यक्तिगत रिश्तों की दुहाई देकर वोट मांगे जा रहे।
9 जिलों में है मतदाता
बिजनौर : – 6352
बरेली : – 6230
मुरादाबाद : – 5475
शाहजहांपुर : – 3896
अमरोहा : – 3779
बदायूं : – 3275
संभल : – 2987
रामपुर : – 2742
पीलीभीत : – 1967
बरेली से कपिल यादव