उत्तराखंड! प्राचीन धार्मिक स्थल वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा हेतु एक मुहिम

उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- उत्तराखंड जनपद पाैडी गढ़वाल के यमकेशवर विधानसभा के काेटद्वार कुछ दूरी पर प्राचीन धार्मिक स्थल वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा हेतु एक मुहिम । ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्थल हमारी भविष्य की नीव है। यह हमारी ऐतिहासिक धरोवर है इसका संरक्षण सम्वर्धन करना हमारा प्रमुख कर्तव्य है वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा हमारी धरोवर है ।

हम चौकीघाट कोटद्वार को वास्तविक कण्वाश्रम कैसे मान ले ?
क्या हम अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी का बताया हुआ इतिहास भुला दे ?
या हम महाकवि कालिदास जी का अभिज्ञान शकुन्तलम को भूल जायें ???

या फिर प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थलो को गुमनामी के अंधेरो में धकेल दे जंहा हमारा जन्म हुआ है ।

आखिर क्यों वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा एवं इससे जुड़े हुए प्राचीन स्थलों विकास नही हुआ ??

चौकीघाट से कुछ दूरी पर किमसेरा (कण्वसेरा) की चोटी पर भग्नावशेष किसी आश्रम या गढ़ का संकेत देते हैं ।

वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा को अनुसन्धान कर्ताओं ने इन चार शब्दों में समेट कर रख दिया । अनुसन्धान कर्ताओं पर कोई दबाव था इसलिए उन्होंने आधुनिकता की आड़ में वास्तविकता को कहीं छिपा ही दिया ।

प्रचीन एवं वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा से सबंधित स्थल

1 किम्पुरुष वर्ष नामक पर्वत जिस पर हेमकूट पर्वत( महाबगढ़ महादेव) स्थित है । जिसका अस्तित्व कण्वाश्रम के समान है । किम्पुरुष का शाब्दिक अर्थ किन्नर गण नाच गान करने वाला समुदाय जो की वर्तमान समय में कण्वाश्रम कीमसेरा के समीप बसे है न की चौकीघाट में । भगवान बद्रीनाथ यात्रा के समय किमसेरा कंवसेरा के चावलो का भोग लगाया जाता था भगवान बद्रीनाथ को तभी यह यात्रा सफल मानी जाती थी ।

2 शकुंतलाधार शकुंतला जन्मस्थली जहां पर मेनका और विश्वामित्र ने शकुंतला को छोड़ दिया था और यही शकुंतला धार अपभ्रंश सौटियाल धार से कण्व ऋषि ने शकुंतला को उठाकर कण्वआश्रम में ले आए थे । आज भी यह स्थान यहां पर एक पर्वत के रूप में स्थित है और यहां पर अभी एक गांव भी बस गया है जिस गांव का नाम अभी भी शकुंतला धार है ।

3 गौतमी वन या धरा , गुलशुगढ़ मालिनी नदी के दोनों तट पर करण आश्रम बसा है मालिनी नदी के ठीक आगे गौतमी वन है कण्व ऋषि की धर्मभगनी की कुटिया थी । आज अपभरश सब्द गुलशुगड़ है यहां से छोटी सी नदी की धार गौतमी धार मालिनी नदी में मिलती है गौतमी धार और मालिनीनदी का संगम यहीं पर है ।

4 मेनका निवास मयड्डा यहां पर मेनका का निवास था अभी भी यहां पर बहुत सुंदर वाटिका है बहुत सुंदर पुष्प बताएं वर्तमान समय में भी मौजूद हैं रमणीय स्थल है यहां पर मेनका का निवास स्थान था ।

5 गोवितत् यहां पर कंवऋषि ने जब राजा भरत राजा हुए तो उनके बाद यहां पर उन्होंने गोवितत तक नामक यज्ञ करवाया था राजा भरत ने कंवऋषि को हजार स्वर्ण मुद्रा एवं कुछ दूध देने वाली गायों का दान किया था वर्तमान समय में अपभ्रंश शब्द के चपेट में आकर इस गांव को गहड़ गढ़ कहते हैं लगभग 1200 यहां पर राजा भांदेव असवाल का गढ़ था ।

6 हेमकुंट पर्वत माहबगढ़ महादेव यहां पर महर्षि मरीचि का आश्रम था उनके साथ हजारों ऋषि यँहा पर तपस्या करते थे अलौकिक दिव्य पर्वत है। वास्तविक कारण आश्रम की हमसे राशि लगभग 5 से 6 किलोमीटर दूरी पर है इस स्थान से थोड़ा नीचे भरपूर गांव है यह प्राचीन समय में भरतपुर गांव बोलते हैं उसको यहां पर राजा भरत का जन्म हुआ था राजा भरत की जन्मस्थली है यह राजा भरत और शकुंतला यहां पर 6 वर्ष तक उन्होंने यहां पर निवास किया । महाकवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम में हेमकुंड पर्वत का बहुत सुंदर वर्णन किया है जो किम पुरुष नामक वर्ष पर्वत पर स्थित है । यँहा पर भरतपुर गांव के निचे एक स्थान है सिंहपानी (स्युपनी ) यँहा राजा भरत सिंह के बच्चों के साथ खेलते थे बचपन में ।

7 जोगी धरड – हजारों तपस्वी मुनियों का तपस्थली स्थल जहां मरीचि ऋषि के साथ हजारों ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी इस स्थान को योगी धरणड कहते हैं बहुत रमणीय स्थल है महवगढ़ महादेव के सामने । सिद्ध मुनि की तपोस्थली है मालिनी नदी के समीप ।

इत्यादि सिद्ध एवं प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा जुड़े हुए जिनका विकास नहीं हुआ है आज हमने और अनुसंधान कर्ताओं ने आधुनिकता की होड़ में वास्तविकता एवं प्राचीनता को कहीं खो दिया है अगर हम प्रतिदिन ऐसे ही वास्तविकता और प्राचीनता को खोते रहेंगे तो हमारी संस्कृति सभ्यता का पतन निश्चित है।
आइए हम सब मिलकर वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा और इससे जुड़े हुए प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों एवं मालिनी नदी का संरक्षण संवर्धन करें ।

-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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