बरेली- महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा हमारी दुनिया में सदियों से चली आ रही है। तीन महिलाओं में से एक महिला अपने जीवनकाल में शारीरिक हिंसा का शिकार होती है जो अक्सर उनके साथी के द्वारा ही की जाती है और यह मानव अधिकारों के उल्लंघनों में से एक है। यह बात बृहस्पतिवार को एफ आर इस्लामिया इंटर कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर महिला थाना प्रभारी इंस्पेक्टर छवि सिंह ने कहीं। उन्होंने छात्रों से कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बलात्कार, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा के रूप में तकरीबन रोज ही देखने को मिल रही है। अगर आप स्कूल से घर आते जाते अपने आसपास महिलाओं के प्रति कुछ भी गलत होते देखें तो उसकी शिकायत पुलिस से करें। इसके लिए यूपी 112 या हेल्पलाइन नंबर 1090 पर सूचना दे सकते हैं। अपने घर की महिलाओं को इसके बारे में बताएं। इस पर सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य मेजर जावेद खालिद ने कहा कि छात्रों को यदि जीवन में आगे बढ़ना है तो अनुशासित और संयमित रहें। अपने पूरे जीवन में महिलाओं का सम्मान करें और यह ध्यान रखें कि यदि आप किसी लड़की के साथ कोई गलत आचरण कर रहे हैं तो वह भी किसी की बहन या मां है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए भौतिक विज्ञान प्रवक्ता और कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर काजी फरहान अहमद ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 के प्रकोप के दौरान महिलाओं पर घरेलू हिंसा का ग्राफ बढ़ा है। कई देशों में महिलाओं पर हिंसा के मामलों में पांच गुना से ज्यादा वृद्धि देखी गई है। इससे पता चलता है कि हम इंसानियत और संवेदनहीनता की सारी हदों को पार कर चुके हैं।
डॉ मेहंदी हसन ने कहा कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिकन तानाशाह राफेल ट्रुजिलो के आदेश पर तीन मीराबल बहनों की हत्या कर दी गई थी। इसलिए इस दिन को महिला हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
इस मौके पर सब इंस्पेक्टर प्रीति पवार, मुशाहिद रजा, मोहम्मद नसीम अंसारी, शाहिद रजा, डॉ इमरान आलम आदि उपस्थित रहे।
– बरेली से तकी रज़ा