अखंड सौभाग्यवती का प्रतीक है वट सावित्री व्रत:पति के दीर्घायु एवं पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है पर्व

*सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से ले लिया था वापस

* वटवृक्ष का किया 108 बार परिक्रमा कर बांधा धागा

मझौलिया /बिहार- मझौलिया में भी काफी हर्ष और उल्लास के साथ वट सावित्री का व्रत मनाया गया
यह व्रत भारत में काफी लोकप्रिय पर्व है। वट सावित्री व्रत स्त्रियों का मुख्य त्योहार माना जाता है । इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह सिंगार कर व्रत करती हैं । इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। यह व्रत सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान देता है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत पूजा का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना होता है। वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है।गौरतलब है कि वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। पुत्र और धन-संपत्ति एवं सुख-शांति की कामना करती हूं। व्रत का पारण पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर किया जाता है। हालांकि व्रत के दिन महिलाएं फलाहार करती हैं।

– राजू शर्मा की रिपोर्ट

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