कुशीनगर- सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। यह बातें वृंदावन से पधारे कथावाचक पं. दीपक शास्त्री ने कही। वे तमकुही ब्लाक के ग्राम पंचायत सेमराहर्दो पट्टी के बेलही कुटी परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत नवाह परायण महायज्ञ व शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा समारोह के प्रथम दिन शुक्रवार को श्रोताओं को कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है।इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है।श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। इस दौरान बाबा बालकदास उर्फ श्याम दास, हेमंत सिंह, वीरेश सिंह, वीरेंद्र सिंह, पंचा शर्मा, मुन्ना सिंह, पंकज यादव, सुरेंद्र सिंह, टोनी सिंह, गुड्डू सिंह, आशुतोष तिवारी मौजूद रहे।
– कुशीनगर से जटाशंकर प्रजापति की रिपोर्ट
समय निकाल कर श्रीमदभागवत को सुनना चाहिए: पं०दीपक शास्त्री
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