*आखिर पहाड़ो में चुनाव के समय क्यों नजर आते अनेक दल
देहरादून।कोरोना वाइरस माहमारी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरा देश को लॉक डाउन किया गया है। लॉकडाउन से उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में रहे आम जनमानस को दिक्कत होने लगी है।
अन्य प्रदेशों में रोजगार की तलाश में गये लोगो के लिए लॉकडाउन ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। जो जहा था वो वही थम गए है और अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है।
उत्तराखंड में आपने देखा होगा कि जब भी चुनाव आते हैं तो अनेकों सुयोग्य हमदर्द नेता पहाड़ के घर घर पर आकर दस्तक देते हैं और साथ ही अनेकों पार्टियां भी धरातल पर नजर आने लगती है और हर पार्टी एक ही राग गाती है,कि पहाड़ का भला केवल हमारी पार्टी कर सकती हैं उनके अलावा किसी मे दम नहीं जो सत्ता में है वो केवल घोटाले ही कर सकते हैं विकास नही,
आज पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है ऐसे में पहाड़ो के हमदर्द बनने वाली पार्टियां गोल है, धरातल पर केवल भाजपा व कांग्रेस के ही नेता नजर आ रहे हैं,
जबकि चुनाव के समय कई पार्टियां कई नेता दिखाई देते थे आज पहाड़ को अपना कहने वाली क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी व यूकेडी डेमोक्रेटिक ,पहाड़ी पार्टी, आम आदमी पार्टी, व कई NGO ,सामाजिक संगठन तो पहाड़ से गायब हो गए है, लगता है ये दल व एनजीओ कोमा में चले गए है,इनके नेता केवल सोसल मीडिया से ही भाषण दे रहे हैं।
विगत लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर अपना दमखम दिखाने व अपने को उत्तराखंड की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी कहने वाली यूकेडी डेमोक्रेटिक के अध्यक्ष उपाध्यक्ष महोदय देहरादून में अपने घर में चुपचाप बैठे हैं।
जबकि इन लोगो को इस समय पहाड़ो में लोगो के बीच होना चाहिए था ये लोग मदद नही करते पर यदि पहाड़ियों के आगे भी रहते तो शायद इनमें किसी की नया पार लग जाती पर अब पहाड़ी लोग कह रहे हैं कि चाहे कितने भी घोटाले किये हो भाजपा कांग्रेस ने बुरे समय में भी यही काम आ रहे हैं इसीलिये उत्तराखंड में केवल इन्ही दोनों का वर्चस्व कायम रहेगा।और अब उत्तराखंड में अन्य दलों को केवल सोशल मीडिया में ही रहना होगा।
– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट