– वैदिक काल से श्री अन्न का महत्व, भविष्य में भी बढ़ेगी उपयोगिता : योगी आदित्यनाथ
– इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में श्री अन्न प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री ने किया अवलोकन
– बोले सीएम- भविष्य में वैश्विक खाद्यान संकट के वक्त भी श्री अन्न ही बनेगा लोगों का सहारा
– श्री अन्न की महिमा का बखान हमारे वेद भी करते हैं : योगी
– श्री अन्न की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता : सीएम
लखनऊ – श्री अन्न का महत्व वैदिक काल से रहा है। भविष्य में भी जब दुनिया खाद्यान संकट का सामना करेगी तो श्री अन्न की उपयोगिता बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश श्री अन्न के उत्पादन का केंद्र बन सकता है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राज्यस्तरीय श्री अन्न प्रदर्शनी एवं कार्यशाला के शुभारंभ समारोह के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने इससे पहले तीन दिवसीय श्री अन्न महोत्सव का शुभारंभ करते हुए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए श्री अन्न उत्पादकों की ओर से लगाये ये प्रदर्शनी का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल ने हमें बड़ा सबक दिया है, हम जितना कृत्रिम जीवन जीने का प्रयास करेंगे महामारियां हमें उतना ही परेशान करेंगी। हमें प्राकृतिक वास और जीवनशैली को अपनाना होगा और उसमें श्री अन्न बहुत ही सहायक होगा। इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है।
तीन दिन तक होगा श्री अन्न महोत्सव का आयोजन
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान के लिए कार्य कर रही उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद् के 34वां स्थापना दिवस पर अगले तीन दिन तक श्रीअन्न महोत्सव का आयोजन हो रहा है। ये महोत्सव यूपी के किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन का माध्यम बनेगा। सीएम योगी ने कहा कि पिछली सदी के छठे और सातवें दशक तक बड़ी मात्रा में मोटे अनाज का उत्पादन होता था। ये हमारे दैनिक जीवन का अंग था। मगर बढ़ती आबादी की आवश्यक्ता और इस दिशा में शोध और अनुसंधान की गति थमने के कारण इसका उत्पादन कम होता गया।
केमिकल फर्टीलाइजर के अत्यधिक उपयोग से बढ़े हैं तमाम रोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारा देश खाद्यान आत्मनिर्भरता में बहुत आगे बढ़ चुका है, मगर इसके साइड इफेक्ट भी पड़े हैं। केमिकल फर्टीलाइजर के अत्यधिक उपयोग से तमाम रोग बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि श्रीअन्न का उत्पादन कम पानी वाले क्षेत्रों में भी होता है। हमें इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए इस दिशा में व्यापक पैमाने पर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है। ये खुशी की बात है कि आज हर परिवार में श्री अन्न का किसी ना किसी रूप में प्रयोग होना शुरू हो गया है। अब इस दिशा में व्यापक रूप से प्रयास प्रारंभ हुआ है। आज मिलेट्स से नये-नये उत्पाद बनाना शुरू हो गये हैं। ये पौष्टिक होने के साथ ही खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्रों में शुरू हुई है नई प्रतिस्पर्धा
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 तक कृषि विज्ञान केंद्रों की हालत खराब थी। आज इनमें नई प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है। इसमें कृषि विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका है। प्रदेश के तीन करोड़ किसानों के लिए बेहतरीन शोध संस्थानों से अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने के लिए तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने ऑर्गेनिक प्रोडकट के सर्टिफिकेशन के लिए हर कृषि विज्ञान केंद्र और कषि विश्वविद्यालय में लैब की स्थापना करने के लिए भी कहा। सीएम योगी ने बताया कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इसमें गोवंश बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।
मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ने समारोह के दौरान श्रीअन्न के क्षेत्र में कार्य करने वाले 35 कृषक उत्पादक संगठनों को सम्मानित किया। इसके अलावा प्रदेश के पांच कृषि विज्ञान केंद्रों (झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर और गाजीपुर) को मिलेट्स प्रसंस्करण संयंत्र के लिए 95-95 लाख की सहायता प्रदान की गई। साथ ही जिन कृषक उत्पादक संगठनों ने अधिक से अधिक किसानों को मिलेट्स फार्मिंग के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया उन्हें भी मुख्यमंत्री ने समारोह के दौरान सम्मानित किया।
इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, यूपी कृषि अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, संजय अग्रवाल, डॉ देवेश चतुर्वेदी सहित कृषि विश्वविदयालयों के कुलपतिगण, प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए कृषक उत्पादन संगठनों और कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारीगण के अलावा बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।