मादक पदार्थों व शराब आदि का सेवन है खतरनाक – जिलाधिकारी

*स्वयं सेवी संस्थाओं व अन्य लोगों के सहयोग से अधिक से अधिक व्यक्तियों में जागरूक पैदा कर अल्कोहल को रोकना हम सभी का परम दायित्व है- जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी

बरेली । जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि भारत वर्ष एक विकासशील राष्ट्र है। हमारा राष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में नित्य नई प्रगति कर उचाईयां प्राप्त कर रहा है वही दूसरी ओर हमें दृष्टिगत होता है कि भारतीयों में पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण प्रमुखता सें बढ़ रहा है। उसी क्रम में हम पातें है कि प्राचीन भारत में मदिरा (शराब) का सेवन घृणित दृष्टि से देख जाता था वही आधुनिक समय में शराब का सेवन प्रतिष्टि माना जाता हैं। आज कोई भी उत्सव मदिरा के बिना सूना माना जाता है। इस कार्य में संभ्रात पुरूष के साथ-साथ महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों व शराब आदि का सेवन शुरू कर दिया है, जिनकी संख्या लगभग 30 प्रतिशत के करीब है और इनकी देखा-देखी हमारे नोनिहाल नवयुवकों में इसका प्रचलन काफी बढ़ गया है वह न केवल गुटका, बीडी, खैनी, शराब, कोकीन, हेरोइन आदि का स्वाद ले रहे हैं बल्कि शराब पीने में उन्हें कोई बुराई नजर नहीं आती है। उन्होंने कहा कि अघ्ययन करने पर ज्ञात हुआ है कि युवा वर्ग नशे की जड़ में फसें चले जा रहा हैं। इग्लैण्ड में शोघकर्ता ने शोघ के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि व्यक्ति को मादक पदार्थों के सेवन से ज्यादा शराब तीन गुना ज्यादा खतरनाक है। ब्रिटिश इंडियेन्डर साइटिफिक कमेटी आन ड्रग्स (आई0एस0सी0डी0) तथा सूरोपियन मानीटरिंग सेन्टर फार ड्रग्स एण्ड एडिक्शन के विशेष वैज्ञानिकां द्वारा किये गये सर्वेक्षण में पाया गया कि खतरनाक मादक ड्रग्स की सूची में अल्कोहल प्रथम स्थान पर है। हेरोइन दूसरे तथा कोकीन तीसरे नम्बर पर है। आई0एस0सी0डी0 के चेयरमेन प्रो0 डेविनट के अनुसार उक्त आकडें ठोस है तथा सभी राष्ट्रों को इस पर विचार कर सार्वजनिक ठोस स्वस्थ नीति बनाई जानी चाहियें। मादक पदार्थ व मदिंरा के बढते प्रचलन में चिंतित विश्व स्वस्थ संगठन के आकडों पर गौर करें तो लगभग 25 लाख व्यक्ति अल्कोहल सेवन से हार्ट अटैक व लीवर की खराबी, सड़क दुर्घटना, आत्महत्या, कैंसर जैसे रोगों में जान गवां देते हैं जो प्रति वर्ष होने वाली सामान्य मौतों का 3.8 प्रतिशत है अगर वही हम दूसरी ओर देखें पूरे विश्व में शारिक अक्षमता व असामयिक मौत के शिकार व्यक्तियों की मौत की एक तिहाई संख्या का एक प्रमुख कारण अल्कोहल होता है।

जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी ने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि अपने राष्ट्र की उन्नति के शिखर पर ले जाना है तो इस अल्कोहल के सेवन पर प्रतिबंध लगाना होगा तथा कतिपय अन्य साधनों से जैसे हमारे साधु संतों के प्रवचन जैसे आज कल योग ऋषि बाबा रामदेव अपनी सभाओं में दान स्वरूप व्यक्तियों से नशा न करने की भीख मांग रहे हैं इसी प्रकार स्वयं सेवी संस्थाओं व अन्य लोगों के सहयोग से अधिक से अधिक व्यक्तियों में जागरूकता पैदा कर अल्कोहल को रोकना हम सभी का परम दायित्व है और यदि हम इस कार्य में सफल होते है तो हमारा भारत वर्ष अन्य राष्ट्रों की तुलना में शिखर पर आसीन हो सकेगा।

– बरेली से तकी रज़ा

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