लखनऊ- शिक्षामित्रों ने बहुत भरोसे के साथ सरकार बनाने में सहयोग दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों को सरकार से उम्मीद थी और वो भरोसा पूरी तरह से टूटता नजर आया।कहीं यहीं कारण तो नहीं रहा उपचुनावों में भाजपा की हार का।
लगातार सुशासन का दावा करने वाली योगी सरकार को जनता ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में झटका दे दिया है। दोनों महत्वपूर्ण सीटें थीं जो सीएम और डिप्टी सीएम के इस्तीफे से खाली हुई थी। इस हार के लिए बीजेपी कतई तैयार नहीं थी। जातीय समीकरणों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के एक मंच पर आ जाना तो सरकार और पार्टी के लिए भारी पड़ा ही। साथ ही साथ सरकार के कई फैसलों ने भी लोगों को नाराज किया। जिसमें से शिक्षामित्रों की नाराजगी भी एक है। शिक्षामित्रों ने बहुत भरोसे के साथ सरकार बनाने में सहयोग दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों को सरकार से उम्मीद थी और वो भरोसा पूरी तरह से टूटता नजर आया। इसके साथ ही शिक्षकों की नियुक्ति हो या किसी और विभागों में बेरोजगारों को रोजगार देने का मामला। करीब एक साल के कार्यकाल में योगी सरकार ने कहीं भी गंभीरता नहीं दिखाई। इसका कारण चाहे यूपी लोक सेवा आयोग या अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी की गई हो या फिर कुछ और बेरोजगार युवा सरकार से नाराज नजर आए। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और एमएलसी सुनील सिंह साजन कहते हैं कि जिस तरह से इस सरकार ने शिक्षामित्रों, बेरोजगारों, आशा बहनों और किसानों के साथ अत्याचार किया, उनपर लाठियां बरसाईं, उसका गुस्सा उपचुनाव में देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने बेरोजगार युवाओं, शिक्षामित्रों, आशा बहनों से किए एक भी वादों को नहीं निभाया। अब युवा इन्हें सबक सिखा रहा है।
फिलहाल कारण कोई भी रहा हो समीक्षा पार्टी कर ही रही है लेकिन हार के कारणों शिक्षामित्रों की भूमिका से भी इंकार नही किया जा सकता।
-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
तो शिक्षामित्रों, बेरोजगार युवाओं ने यूपी उपचुनाव में डुबो दी बीजेपी की नैया?
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