अस्पतालों में नहीं हो रहा कोविड नियमों की पालन:,जगह नहीं मिली तो जमीन पर लेट गई महिला मरीज

महम /हरियाणा- वायरल बुखार व कोरोना बीमारी के चलते चिकित्सकों के यहां मरीजों की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गांव व शहरों में अनेक ऐसे चिकित्सक हैं जो कोविड गाइडलाइंस का पालन न करते हुए आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इनके यहां दो गज की दूरी, मास्क व सेनेटाइजेशन की कोई सुविधा नहीं है। कोविड के लक्षण वाले मरीजों को भी एक ही लाइन में खड़ा करके उनको दवा दी जाती है। ऐसे में अन्य बीमारी की दवा लेने आए मरीज संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इस समय महम शहर सहित क्षेत्र के कई गांवों में खांसी, जुकाम, बुखार व अन्य तरह की बीमारी से ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। बड़े हास्पिटल की बजाए लोग गांव व शहरों में ही छोटे अस्पतालों में जाकर इलाज करवा रहे हैं। महम शहर के एक अस्पताल में दवा लेने आई इशवंती, दयाकिशन, सुनील ने बताया कि उन्हें पिछले तीन दिनों से बुखार आ रहा है। गांव से दवाई ली लेकिन आराम नहीं हुआ। महम में प्राइवेट अस्पताल में दवा लेने आए हैं। यहां काफी भीड़ है। कोरोना लक्षण वाले व दूसरे मरीजों को एक साथ ही बैठाया गया है। सेनेटाइज की भी सुविधा नहीं है।

ओपीडी का समय घटा तो बढ़ गई भीड़

सिविल अस्पताल में मरीजों को 11 बजे तक देखा जाता है। उसके बाद ओपीडी बंद कर दी जाती है। इसके अलावा खेड़ी महम में स्थित धर्मार्थ औषधालय मुख्य चिकित्सक व स्टाफ के कोरोना पाजिटिव आने की वजह से पिछले दो सप्ताह से बंद पड़ा है। ऐसे में मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए आने लगे हैं। शकुंतला, दर्शना, भूपेंद्र का कहना है कि प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा मनमाने दाम वसूले जाने लगे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों को दौरा कर ऐसे अस्पतालों का निरीक्षण करना चाहिए। गरीबों का इलाज करवाना मुश्किल हो गया है। अजायब गांव से आई बिमला ने बताया कि वह कई दिनों से बीमार है। शहर के खेड़ी दरवाजे पर एक मोतीझारे वाले चिकित्सक के यहां दवा लेने आई थी। भीड़ काफी है। बैठने का कोई प्रबंध नहीं है। थकान हुई तो बाहर फर्श पर ही लेट गई। पता नहीं कब नम्बर आएगा। अंदर बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। जन अधिकार मंच के अध्यक्ष राजेश जिंदल ने बताया कि सरकार को ओपीडी का समय बढ़ा देना चाहिए। अधिकारी प्राइवेट अस्पताल का दौरा कर कोविड गाइडलाइंस की पालना करवाएं तो ये सबके लिए बेहतर होगा।

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