संस्कृत भाषा में हजारों फिट लंबे रिबन पर लिख दी भागवत गीता

हरदोई – जिले के बीस वर्षीय युवक ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जो आज से पहले न तो किसी ने किया होगा और न ही सोचा होगा. आर्यन ने संस्कृत भाषा में हजारों फिट लंबे रिबन पर भागवत गीता लिख कर हरदोई का परचम लहराया है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एक मेंबर डॉ. पिल्लई ने यहां आकर आर्यन के करिश्मे को देखा और उसकी सराहना की. उन्होंने आर्यन के कार्य की सराहना करते हुए गिनीज बुक में जल्द ही उसका नाम शामिल होने की उम्मीद जतायी है।

जानकारी के अनुसार 20 वर्षीय आर्यन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अपने गांव से हासिल की और फिर ज्ञान गंगा इंटर कॉलेज सांडी से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद सीतापुर से कंप्यूटर साइंस से पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा हासिल किया।जिसके बाद वह लखनऊ में रहकर सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की तैयारी करने लगे।आर्यन सिंह बताते हैं कि इसी दौरान उन्हें वाराणसी जाने का मौका मिला जहां उन्होंने देखा कि रिवन पर पेंटिंग बनाने वाले लोगों का नाम गिनीज बुक में दर्ज है।तो उनके भी मन में गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का ख्याल आया और इसके बाद उन्होंने इसके लिए प्रण कर लिया।धार्मिक क्षेत्र में विशेष रूचि होने के कारण आर्यन ने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए भगवद्गीता को चुना और फिर उन्होंने भगवा रंग के डेढ़ इंच चौड़े रिबन पर संस्कृत भाषा में मार्कर पेन से अपने हाथ से पूरी भगवद्गीता लिख डाली।भगवद्गीता को लिखने में उन्हें 3 महीना 18 दिन का समय लगा इसकी लंबाई 4187 फीट यानि 1276 मीटर है,इसकी जानकारी जब गिनीज बुक वालों को हुई तो उन लोगों ने अपने एक सदस्य को उनके यहां अवलोकन कर पूरी जानकारी इकट्ठा करने के लिए भेजा।

हरदोई के रसखान प्रेक्षागृह में चार बार के गिनीज बुक विनर और गिनीज बुक बर्ल्ड रिकार्ड संस्था के प्रतिनिधि डॉक्टर जगदीश पिल्लई प्रेक्षा ग्रह पहुंचे और आर्यन सिंह के इस कार्य का अवलोकन किया और आर्यन को यूरेशिया विनर पुरूस्कार से नवाजा ।आर्यन सिंह ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर हर किसी को अपना लोहा मनवाया है यही वजह है कि आज हर कोई आर्यन सिंह के इस कार्य और उनकी प्रतिभा की सराहना कर रहा है तो वहीं बेटे की इस काबिलियत से परिजन और गुरुजन भी गदगद है।

अवलोकन करने आए डॉ पिल्लई ने भी आर्यन के इस कार्य की प्रशंसा की और आर्यन को एयूरेसिया सर्टिफिकेट और मेडल से नवाजा. हरदोई के रसखान प्रेक्षागृह में जिलाधिकारी के निर्देश पर आर्यन के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया।
डॉ. जगदीश पिल्लई का नाम भी गिनीज बुक में चार बार दर्ज हो चुका है. उन्होंने बताया कि आर्यन के जैसा कार्य आज से पहले कहीं भी देखने को नहीं मिला. वहीं अवलोकन कर सारी जानकारी कलेक्ट करके डॉ. पिल्लई ने रिपोर्ट सौंप दी है।

बता दें कि आर्यन ने इस काम को तभी ठान लिया था जब उन्होंने रिबन पर लोगों को कलाकृतियां बनाते देखा था. इसके लिए उन्होंने जिस तरह से अपनी पढ़ाई के बाद समय निकाल कर कड़ी लगन और मेहनत से ये इतिहास रचने का काम किया, वो काबिले तारीफ है, अपनी लगन और मेहनत से हासिल किए गए मुकाम के लिए इसका श्रेय आर्यन सिंह अपने पिता मुन्नू सिंह ,बड़े भाई सुशील सिंह और अपने गुरुजनों को दे रहे हैं। जिलेभर में आर्यन को सम्मानित किया जा रहा है जिलाअधिकारी पुलकित खरें ने भी आर्यन को सम्मानित किया और बधाई भी दी।

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