फतेहगंज पश्चिमी डेढ़ महीने बाद कैद में आया बाघ: ट्रेंकुलाइज कर रबर फैक्ट्री से रेस्क्यू किया

बरेली – शहर के करीब घूम रहे बाघ को आखिरकार गुरुवार को करीब डेढ़ महीने के बाद वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआइ) टीम ने ट्रेंकुलाइज कर कैद कर लिया। मदमस्त बाघ नेशनल हाईवे किनारे फतेहगंज पश्चिमी की सालों से बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में मौज कर रहा था। उसे पकड़ने के लिए टीमें 14 दिनों से कांबिंग कर रही थी, लेकिन वह हर बार वह टीम को गच्चा दे जाता। बाघ पकड़ने की सूचना मिलने पर कमिश्नर डॉ. पीवी जगनमोहन भी मौके पर बाघ को देखने को पहुंचे। बताया जा रहा है कि बाघ के कुछ नाखून गायब मिले हैं, इसके अलावा एक पैर में जख्म होने की वजह से पस पड़ गया है। इसके चलते बाघ को इलाज के लिए कानपुर चिड़ियाघर ले जाया जाएगा।

करीब 47 दिन, इलाके में रहने वाले हजारों जिंदगियों पर मंडराता खतरा और दर्जनों शिकार.। पीलीभीत के जंगल से भटककर पहुंचे बाघ की दस्तक के बाद फतेहगंज पश्चिमी की हकीकत यही थी। नेशनल हाईवे से महज एक किमी दूरी पर बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में बाघ ने डेरा जमाया तो हर कोई दहशत में आ गया। ग्रामीणों ने इलाके में बाघ दिखने और मवेशियों पर हमला बोलने की कई बार शिकायतें कीं, लेकिन अर्से तक वन विभाग के अफसर बाघ की मौजूदगी को ही नकारते रहे। लोगों की बढ़ती शिकायतों और एक के बाद एक जानवरों के शिकार पर अफसरों की नींद टूटी। वन विभाग की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो बाघ की मौजूदगी के निशां भी मिले। इसके बाद विभाग हरकत में आ गया। सेंसर कैमरे लगाने के साथ डब्ल्यूटीआइ के एक्सपर्ट को मौके पर बुलाया गया, लेकिन कैमरे के तस्वीरें कैद होने के बावजूद बाघ 14 दिनों तक एक्सपर्ट को भी जमकर नचाता रहा है। मंगलवार से बाघ की धरपकड़ का अभियान तेज हुआ तो खतरा घटने की बजाय बढ़ गया। क्योंकि बाघ के शहर में आबादी की ओर रूख करने की आशंका बढ़ चली। उधर, जाल बिछाकर पड्डा बांधने के बावजूद बाघ टीम को गच्चा देकर लगातार लोकेशन बदलता रहा। इसके चलते टीम को खासी मशक्कत करनी पड़ी

फिर चकमा देने की फिराक में था बाघ

पिछले कई दिनों की तरह बाघ कैद में आने से चंद घंटा पहले तक एक्सपर्ट को चकमा देने की फिराक में था। टीम की ओर से बिछाये गए जाल में बंधे से पड्डे को बाघ अपने शातिराना अंदाज में निकालकर ले गए। उसके सिर को जंगल में अलग जगह छोड़ दिया। जबकि उसके धड़ को झाड़ियों में खींच ले गया। इससे टीम एक बार फिर उसका पीछे करते हुए भटक गई। फैक्ट्री के अंदर बनी सुरंग में छिपा था बाघ

बाघ ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए फैक्ट्री परिसर में जमीन के अंदर बनी सुरंग नुमा चैंबर को अपनी मांद बना रखा था। आसपास खतरा होने पर वह इसमें छिप जाता था। इससे बाहर आने के पांच रास्ते थे। जिससे वह आया जाया करता था। खास बात यह भी थी कि बाघ हर बार आने-जाने के लिए अलग रास्ते का उपयोग करता था। इसी वजह से वह लंबे समय से हाथ नहीं आ रहा था। दो बार ट्रेंकुलाइज करने और दो घंटे की मशक्कत के बाद हत्थे चढ़ा बाघ : सुरंग नुमा मांद में छिपे बाघ को पकड़ने के लिए पहले टीम ने एक-एक कर उसके रास्तों को बंद करना शुरू। इसके बाद बाघ की मौजूदगी वाले रास्ते के सहारे उसे ट्रेंकुलाइज किया, पर सुरंग के अंदर से बाघ को निकालना भी आसान नहीं था। बाघ को पकड़ने के लिए टीम को करीब दो घंटे तक कड़ी मशक्कत करने पड़ी। इस बीच बाघ होश में आने लगा तो उसे दोबारा ट्रेंकुलाइज करना पड़ा। कमिश्नर पहुंचे बाघ को देखने

दहशत का पर्याय बन चुके बाघ के पकड़े जाने की सूचना मिलने पर कमिश्नर डॉ. पीवी जगनमोहन खुद भी मौके पर पहुंचे और बाघ को देखा। कमिश्नर की मौजूदगी में टीम ने बाघ स्वास्थ्य परीक्षण किया। एक्सपर्ट के अनुसार, बाघ की उम्र करीब दो से ढाई साल के बीच है। वजन करीब एक कुंतल है। कानपुर के चिड़ियाघर भेजा जाएगा बाघ : डब्ल्यूटीआइ टीम के सदस्यों की माने तो बाघ के कुछ नाखून गायब मिले हैं, जबकि उसके पैर में जख्म का निशान मिला है। इस वजह से पस भी पड़ गया है। ऐसे में इलाज के लिए उसे कानपुर चिड़ियाघर भेजा जाएगा। जहां डॉक्टरों की देखरेख में उसका उपचार किया जाएगा।

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