कुशीनगर- हृदयाघात यानि के हार्टअटैक ऐसी बीमारी जहां पल में लोग मौत के आगोश में चले जाते है पर जिसके जीने की उमीद हो वह अस्पताल की तरफ जिंदगी के लिए दौड़ पड़ता है अगर वहां भी जान न बच पाए तो मरीज जाए तो कहा जाए।यही हाल कुशीनगर जनपद के हृदयाघात आईसीयू वार्ड का है जहां यह वार्ड खुद बीमार होकर आईसीयू वार्ड में है। हृदयाघात या उच्च रक्तचाप के शिकार हो जाए तो उनके लिए जिला अस्पताल मुफीद साबित नही होगा।क्योंकि कुशीनगर का जिला अस्पताल में ताला लगा यह आईसीयू वार्ड पिछले तीन सालों से बंद पड़ा है।जिसके चलते इमरजेंसी में आये मरीजो को गोरखपुर मेडिकल रेफर किया जाता है।स्टाफ के अभाव की वजह से बीते तीन सालो से यह आईसीयू बंद पड़ा है।इमरजेंसी आईसीयू बार्ड की तोर पर खुला यह वार्ड अब गाड़ियों का पार्किंग वार्ड बन गया है। इससे यह जिला अस्पताल कम रेफर सेंटर अस्पताल ज्यादा लगता है।
जानकारी के अनुसार कुशीनगर जिला अस्पताल में जिस उम्मीद से यह छः बेड आईसीयू वार्ड तीन साल से चलने की जगह बन्द पड़ा होने से महज़ जिला अस्पताल का सो पीस बन के रह गया है। बन्द पड़े होने से यह वार्ड अब गाड़ियों का पार्किंग बन गया है।अगर बात की जाए इस वार्ड की तो अगर यह चलती अवस्था में हो तो जनपद ही नहीं अपितु आसपास के जिले के लोगों को भी परेशानी नही होगी।जब की इस का निर्माण पूरा हुआ तीन सालो से ऊपर हो चुका है। जब जनपद में इस वार्ड की शुरुवात हुई तो लोगो को आशा थी कि हृदयाघात आपातकालीन की हालात में बेहतर उपचार मिल जाएगा।पर दुर्भाग्यवश ऐसा हो न सका। शुरू में तो बार्डो का अभाव चलता रहा, जब बार्ड पूरे हुए तो स्टाफ का अभाव हो गया। हालात इतने बद्तर हैं कि डाक्टरों की कमी तो अर्से से चल ही रही थी, बीते तीन सालो से नर्सो की भी व्यापक कमी हो गई। इससे अस्पताल आने वाले हृदयाघात या उच्च रक्तचाप के शिकार हुए रोगियों की समुचित देखभाल नहीं हो पा रही है।इसके चलते ही बीते सालो से हृदयाघात या उक्त रक्तचाप के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण आईसीयू बंद है। इतना ही नहीं जिला अस्पताल में कार्डियोलोजिस्ट के रूप में कोई डॉक्टर नही है। इससे हृदयाघात तथा उक्त रक्तचाप के रोगियों को जिला अस्पताल से मायूस होकर अन्य अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है।जब कि यह जनपद सीएम योगी का प्रिय जिले में तवज्जो दिया जाता है।जब कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा कर रहा है।धरातल पर हकीकत इसके विपरीत है।जब सीएम के जिले के पास के इस जनपद को तवज्जो नहीं दी जा रही है, तो अन्य जिलों की बात करना ही बेमानी है.. बीते कई वर्षो से डाक्टर तथा अन्य स्टाफ की मांग निरंतर की जा रही है इसके बावजूद अभी तक मांग पूरी नहीं हुई है।
इस मामले में जिला अस्पताल के CMS अधिकारी ‘आईसीयू” बंद होने की बात तो मानते है ..पर डॉक्टरों की कमी और नर्सो की कमी होने को वजह से इस वार्ड को बन्द करने के इलावा कोई और वजह न होने का रोना रो रहे है।जब कि सीएमएस ने डाक्टरों तथा नर्सो की कमी दूर करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को निरंतर अवगत कराने की बात कर रहे है…जब कि आपात स्थिति में आने वाले इस तरह के रोगियों का समुचित उपचार किया जाता है पर क्रिटिकल केस को गोरखपुर भेजने के अलावा हमारे पास कोई अन्य रास्ता नही है अब देखना होगा कि कब इस वार्ड को शुरू किया जाएगा या इसी तरह बंद पड़ा रहेगा।
रिपोर्ट-अनूप यादव,कुशीनगर