बिहार में पकनी शुरू हुई ” सियासी खीर”

बिहार में राजनीतिक उठा पटक का दौर अभी से ही चालू हो गया है । सभी दल आने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं । अभी से जनता को रिझाने के दौर शुरू हो गया है। पार्टी के नेता अभी से हिसाब किताब लगा रहे हैं, की 2019 का लोकसभा चुनाव में जीत कैसे दर्ज की जाय । कुछ पार्टी बीजेपी तो कुछ महागठबंधन में शामिल होने की सोच रहे है । रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान से तो यही पता चल रहा है कि वो बहुत जल्द महागठबंधन में शामिल हो सकते है । अभी तक तो वो बीजेपी के साथ है । सूत्रों की माने तो ये सारा खेल टिकट बंटवारे को लेकर है । बिहार में टोटल 40 लोकसभा सीट है । जिसमे भाजपा, जदयू, लोजपा, रालोसपा को कितनी सीटों का बटवारा होगा अभी खुलकर सामने नही आया है।

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने कल अपने बयान में जिन यदुवंशियों का जिक्र किया, एक जाति के रूप में बिहार में उनकी आबादी सबसे ज़्यादा है. पिछड़े वर्ग की जातियों में उनके बाद ‘कुशवंशियों’ की आबादी है.

माना जाता है कि अभी के दौर में यादव समाज का बड़ा हिस्सा राजद के साथ है जबकि उपेंद्र कुशवाहा समाज के एक बड़े नेता माने जाते हैं.

अनुमान के मुताबिक ये दोनों जातियां कुल मिलाकर बिहार की आबादी का करीब 20 फ़ीसदी हैं और इनका किसी एक गठबंधन में होना उसकी जीत की संभावनाओं को काफ़ी बढ़ा देता है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और गरीबो का मसीहा कहे जाने वाले बीपी मंडल की जयंती पर रालोसपा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के राजनीतिक दलों की बात करें तो सबसे बड़ा आयोजन, केंद्र और बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने किया.

पटना के एसकेएम हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पिछड़ों की व्यापक एकता की ज़रूरत को रोचक अंदाज़ में सामने रखा.

उन्होंने कहा, ”यदुवंशियों (यादव समाज) का दूध और कुशवंशी (कुशवाहा समाज) के चावल मिल जाएं तो खीर बनने में कोई दिक्कत नहीं होगी. खीर मतलब सबसे स्वादिष्ट व्यंजन. अब इस स्वादिष्ट व्यंजन को बनने से कोई रोक नहीं सकता है. लेकिन इसमें सिर्फ़ दूध और चावल से ही काम नहीं चलने वाला है, इसमें पंचमेवा की भी ज़रूरत पड़ती है. और उस पंचमेवा के लिए बीपी मंडल के इलाके में एक प्रचलित शब्द है- पंचफोरना. इसमें अतिपिछड़ा समाज के लोग, छोटी-छोटी संख्या वाली जातियों के लोग और शोषित-पीड़ित शामिल हैं. खीर को स्वादिष्ट बनाने के लिए उनके घर का पंचमेवा आवश्यक है.”

– पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट

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