कोरोना के चलते मजबूर हुआ आम आदमी

भारत सरकार से लेकर विदेश की सरकार भी इस वैश्विक महामारी बीमारी से लड़ रही है। लेकिन किसी को कोई राहत नहीं मिल रही है। आलम ये है कि आम जनता की रक्षा के लिए उतरे चिकित्सक और पुलिस कर्मी भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हर जगह लोग परेशान हैं और इस आपदा से निपटने के लिए हर बड़े से बड़े उद्योग पतियों, अभिनेता और सरकारी कर्मचारियों ने सरकारी राजकोष में धन जमा कर दिया है जिससे सरकार हर जरूरत मन्द आदमी की मदद कर सके। लेकिन इसके बावजूद आज आम आदमी ही परेशान हो गया है। कारण ये है कोरोना वायरस जैसी बीमारी को सरकार ने आम जनता का विश्वास जीतने के लिए पहले जरूरत के सामान आदि मुहैया कराने के लिए देश के अधिकारियों से सहयोग लिया।

इसके फलस्वरुप पूरे देश में जनता कर्फ्यू (लाकडाउन) लगा दिया। जिससे इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। इसके बाद सरकार गरीब आदमी की मदद के लिए अपने सरकारी खजाने खोल दिए। लेकिन सरकारी खजाने केवल दिखावे के लिए खोले गए। क्योंकि पी एम मोदी जी ने कोरोना बीमारी से ग्रसित जनता को भूख से न मरे इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के आदेश दिए।

लेकिन सरकारी नौकरशाहों ने अलग ही रास्ता बना दिया जो सीधे सरकारी कर्मचारियों के सिर पड़ा। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन आदि काटने के आदेश दे दिए। इतने से काम नहीं बना तो सभी भत्ते समाप्त कर दिया। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आम आदमी अपना परिवार चलाने के लिए उपरी आमदनी करेगा या चोरी करने पर मजबूर हो जाएगा। आए दिन मीडिया के माध्यम से देखा जा रहा है कि गरीब छात्रों, मजदूर सड़कों पर मारे मारे फिर रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है और अगर कोई है तो वो खाकी वर्दी है,जो बेगुनाह छात्रों और मजदूरों को पकड कर डंडे बरसा रही है। सड़कों पर भटक रहे लोगों को ठीक से खाना तक नहीं मिल रहा है। सरकार दिखावे के लिए चुन कर गरीबों को दिखा रही है कि इनको भोजन आदि सब मिल रहा है।

भारत सरकार ने कोरोना वायरस की बीमारी के कारण स्कूल, कॉलेज की छुट्टी कर दी और ये आदेश दिया गया कि कोई भी स्कूल, कॉलेज छात्रों की फीस नहीं लेगा। लेकिन सरकारी आदेश डस्टबीन में पड़े रहे। विद्यालयों ने फीस लेने में कोई कोताही नहीं की आलम ये हुआ कि स्कूल, कॉलेज तो बंद रहे लेकिन फीस बराबर जमा होती रही। आने वाले समय में ये हाल होगा कि सरकार बीमारी को लेकर जनता की आँखों में धूल झाँकती रहेगी और हम आंख बंद कर के सब कुछ सहते हुए कहेगे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।