शानदार शख़्सियत में शुमार है यह आईपीएस अजय कुमार

बरेली -सराहनीय कार्यों के लिए डीजीपी उत्तर प्रदेश द्वारा प्रशंसा चिन्ह से नवाज़े जाने पर आई पी एस अजय कुमार से हुई बातचीत के प्रमुख अंश कुछ यूँ हैं।

लगातार दूसरी बार फ़िरोज़ाबाद जैसे जटिल व चुनौतीपूर्ण जनपद के पुलिस कप्तान की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभा रहे आई पी एस अजय कुमार को विगत 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व के पावन अवसर पर प्रशंसा चिन्ह व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने मनोबल को बढ़ाने वाला कहा है। साथ ही यह भी कहा कि इस प्रकार के सम्मान से भविष्य में और भी कई उत्कृष्ट कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।

मूलत: अयोध्या के निकटवर्ती ज़िला बस्ती के एक छोटे से गाँव देवापार में जन्मे, पले-बढ़े और पढ़े अजय कुमार अपने किसान पिता श्री वंश बहादुर पाण्डेय की पाँचवीं संतान हैं। बचपन के शुरूआती 10 वर्ष तक कुछ कारणों के चलते स्कूल का मुँह भी न देख पाने वाले अजय कुमार ने गाँव के प्राइमरी स्कूल में सीधे 5 वीं कक्षा में दाख़िला लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अजय बचपन से ही होनहार, जुझारू, धुन के पक्के, विनम्र और ग़रीब और असहाय लोगों के मददग़ार रहे हैं। यह सभी गुण उनमें आज भी हमेशा देखे जा सकते हैं। इन्हीं गुणों की बदौलत उन्होंने हाईस्कूल यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूरा बस्ती ज़िला टॉप किया था, एचबीटीआई कानपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान सबसे कुशल इंजीनियर बनकर गोल्ड मेडल हासिल किया, और आईएएस एग्जाम 2010में पूरे देश में शानदार 108 वीं रैंक हासिल कर अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवा कर सबको चौंका दिया था।
आईपीएस अजय कुमार जहाँ भी तैनात रहे वहाँ उन्हें उनकी ईमानदारी, सख़्ती और राजनीतिक दबाव के सामने ना झुकने वाले तेज़-तर्रार अफ़सर के रूप में जाना जाता है। मिसाल के तौर पर, फ़िरोज़ाबाद की अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान उन्होंने कई बड़े काम किए। वर्तमान सरकार बनी ही बनी थी, तभी यूपी के सबसे बड़े ग्लास इंडस्ट्रीलिस्ट का अपहरण हुआ तो उन्होंने न केवल 5 घण्टे के भीतर उस उद्योगपति को सकुशल बरामद कर लिया बल्कि इस सनसनीख़ेज़ अपहरण का मास्टर माइण्ड पुलिस की गोली से घायल भी हुआ। इसी तरह शामली में उनके 1 साल के शानदार कार्यकाल के दौरान 56 दुर्दांत गौकश, लुटेरे और डकैत अपराधी पुलिस मुठभेड़ के दौरान लँगड़े हुए और आज भी जेलों में बंद हैं। इसी कड़ी में, मैनपुरी के 1 साल के नायाब कार्यकाल ने उनकी ईमानदार, सख़्त, न्यायप्रिय और बड़े से बड़े राजनीतिक दबाव को ना मानते हुए ईमानदारी और अपने न्यायप्रिय वसूलों पर टिके रहने वाली छबि को और अधिक चमकाया है। बात-चीत के दौरान, उन्होंने यह भी कहा कि ग़रीबों-असहायों की मदद करने और दुष्टों-अपराधियों पर नकेल कसने का उनका यह संकल्पित अभियान आगे और भी अधिक धार के साथ सतत् जारी रहेगा।

बरेली से सौरभ पाठक

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