जानिए: शिया हज़रात क्यों मनाते हैं ईद ए ग़दीर?

लखनऊ- शिया समुदाय के लोगो द्वारा यह त्यौहार बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया जाता है आज के दिन अल्लाह के दूत मोहम्मद साहब ने शियाओं के पहले इमाम हज़रत अली को ग़दीर ए ख़ुम नाम की जगह पर अपना उत्तराधिकारी चुना था जिसकी ख़ुशी में शिया हज़रात इसे ईद के ग़दीर के नाम से मनाते है। दोस्तों आपको बताते चलें की ईद है ग़दीर एहले शियाओं की सबसे बड़ी ईद है जो 18 ज़िल्हिज्जा (बकरीद की 18 तारीख) को मनाई जाती है हदीस के मुताबिक हिजरत के 10 साल हज्जातुल अलविदा के मौके पर पैगंबर अकरम ने ख़ुदा के हुक्म से हज़रत अली को खिलाफ़त और इमामत के मनसब पर मनसुब फ़रमाया यह वाक्य ग़दीर ए ख़ुम के मुकाम पर पेश आया और इसी ईद को ईद उल अकबर यानी सबसे बड़ी ईद अहले बैत मोमिनीन की ईद है और सबसे अफजल तरीन ईद कही जाती है तारीख ए इस्लाम का सबसे बेहतरीन वाक्य है जिसने पैगंबर अकरम ने हिजरत के 10 साल आखरी हज से वापस ग़दीर ए ख़ुम नामी जगह पर हजरत अली को अपना जनशीन और वली मुकर्रर फ़रमाया जिसके बाद तमाम बुजुर्ग सहाबा सहित हाज़रीन ने अली के वली होने पर बैय्यत की और यह तकरीर ए खुदा के हुकुम से खुदा बंदे आलम में आयते बल्लिग में ब्यान फ़रमाया जिसमें पैगंबर अकरम को हुकुम दिया कि जो खुदा की तरफ से आअया आप पर नाजिल किया गया है उसे लोगों तक पहुंचा दें अगर आपने ऐसा न किया तो वह या आपने रिसालत तो कोई काम अंजाम नहीं दिया इसके बाद आयते अकमाल नाजिल हुई जिसमें खुदा ने दीन की तकमील और नेमत की अहमियत का ऐलान करते हुए दीन ए इस्लाम को पसंदीदा दीन करार दिया।

हदीस की रोशनी में ईदे कदीर-
सबसे बड़े नबी की सबसे बड़ी ईद ईद ए ग़दीर है रसूले खुदा ने फ़रमाया मेरी उम्मत की सबसे बड़ी ईद ईद ग़दीर है।
हज़रत अली ने फ़रमाया ग़दीर के दिन की नेकी और माल जिंदगी को बढ़ाती है।
हज़रत अली रज़ा अ0 ने फ़रमाया मैंने अपने जद हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से नक़ल किया है आप ने फरमाया रोजे ग़दीर ज़मीन से ज्यादा आसमान पर मशहूर मारूफ़ है।
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया खुदा की कसम अगर लोग रोज ए ग़दीर की हकीक़त और फ़जीलत की पहचान कर लेते तो फरिश्ते दिन में 10 बार उनसे मुसाफ़ा करते और जिन लोगों ने इस दिन की मार्फत हासिल कर ली उन पर खुदा की मेहरबानी है और बक्शीश में शुमार होती है
हजरत अली ने फ़रमाया ( ग़दीर के क़ुत्बे ) में जिस वक्त एक दूसरे से मिलो तो पहले सलाम करो और मुसाफा करो और उस दिन एक दूसरे को हदिया और तोहफा पेश करो जो शख्स हाजिर है और उसकी बात को सुनो मालदार हजरत गरीबों की मदद करें और कमजोर को सहारा दे।
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया उस रोज ग़दीर किसी भी अमल का अज्र व सवाब 80 महीनों के अज्र के बराबर होता है इस दिन बहुत ज्यादा जिक्रे खुदा करें और कसरत से मोमिनीन मोहम्मद व आले मोहम्मद पर दुरुद ओ सलाम भेजें ।
🔘 इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया जो शख्स रोज़े ग़दीर जिस वक्त भी चाहे दो रकअत नमाज़ पढ़े अगर जिस जोहर के वक्त धीरे को में हजरत अली की विलायत का ऐलान हुआ था गोया वह शख्स की ग़दीर में हाजिर था।

ईद ए ग़दीर का मक़सद–

1- दुनिया बगैर रहनुमा कि नहीं रह सकती है।
2- रसूल के बाद जानशीन रसूल जरूरी है।
3- यह वो जानशीन है जो हक़ से साथ हिदायत भी करता है और इंसाफ़ भी।
4- यह वह जानशीन है जो किसी से डरता नहीं है सिवाय अपने माबूद के ।
5- यह वो जानशीन है जिसने अपने माबूद और रसूल की मारेफ़त हांसिल की है।
6- रसूल ने इसलिए खलीफ़ा मुंतखिब किया कि मेरे बाद ज़माना गुमराही पर न चला जाए।
7- यह वो जानशीन है जिसने खुदा के अहकाम दुनिया में नाफ़ीज़ किये हैं
8- यह वो जानशीन है जो हक़ व बातिल को जुदा करता है इसीलिए हजरत अली को फ़ुरकान भी कहते हैं।
9- यह वह जानशीन ए हक़ परस्त है जिसकी अदालत ज़माने में मशहूर है।
10- यह वह हादिये बरहक़ है जो मेंबर पर सलोनी का दावा करें जिसका इल्म फिल्में इलाही है ।
11- यह वह जानशीन है जिसके लिए क़ुरआनी एतबार से विलायत ततहीर मुबाहिला बल्लीग जैसी कम से कम 313 आयतें मौजूद हैं।
( ईद ए ग़दीर के वाक़ये को पेश करने की बेहतरीन कोशिश की है –
*निशा ज़हरा पिहनवी*
*हौज़ ए इल्मिया इमाम जाफ़र सादिक, बिलग्राम*

रिपोर्टिंग- एस० हसन जाज़िब आब्दी

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