बरेली- शीशगढ़ क़स्बे मे लगने बाले परम्परागत रामलीला मेले को लेकर उत्पन्न विवाद और गहराता जा रहा है जिससे मेले के अस्तित्व पर संकट के बदल मंडराने लगे है। बताया जाता है बर्ष 2009 मे रामलीला मेला कमेटी गिरधरपुर शीशगढ़ ,रामलीला विकास समिति ,रामलीला मेला कमेटी शीशगढ़ के बीच विवाद शुरु हो गया। मामला आयुक्त बरेली मण्डल के न्यायालय पहुंच गया था उस समय जिलाधिकारी बरेली ने विवाद को हल करने के लिए वर्ष 2009 मे एसडीएम की अध्यक्षता मे गठित कमेटी द्वारा मेले का आयोजन कराया गया था। वर्ष 2016 तक इसी तरह चलता रहा वर्ष 2017 मे आयुक्त बरेली मंडल ने रामलीला मेला गिरधरपुर शीशगढ़ को कानूनी मान्यता देते हुए अन्य सभी कमेटी को निरस्त घोषित कर दिया। आयुक्त बरेली मंडल के आदेश पर उपजिलाधिकारी मीरगंज द्वारा 27.8.2017 को दिनांक 22.9.2017 से 7. 10.2017 तक मेला आयोजन सम्बन्धी अनुमति रामलीला मेला कमेटी गिरधरपुर शीशगढ़ जारी की गयी।
श्री रामलीला कमेटी के प्रबधक प्रवेश कुमार देवल का कहना है की उन्होंने श्री रामलीला मेला के आयोजन को लेकर एसडीएम से अनुमति मांगी एसडीएम ने थाना प्रभारी शीशगढ़ से रिपोर्ट मांगी गयी थी लेकिन 2 माह का समय बीत जाने के बाद भी थाना प्रभारी ने अभी तक अपनी आख्या रिपोर्ट नहीं भेजी है। जबकि तत्कालीन एसडीएम ने मौखिक व लिखित मे दिनांक 30 . 7 2018 को थाना प्रभारी शीशगढ़ को 2 दिन मे आख्या रिपोर्ट जल्द देने को निर्देश दिए गए थे मेले कमेटी के प्रबधक प्रवेश कुमार देवल द्वारा मामले को लटकाने के लिए उच्च अधिकारियो को गलत रिपोर्ट देकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने ए डी जे को पत्र लिखकर कार्रवाही की माँग की है जबकि थाना प्रभारी रकम सिंह का कहना है की वह बारीकी से जांच कर रहे है कई अन्य ने भी मेले के लिए आवेदन किए है।
शीशगढ में होने वाली रामलीला के अस्तित्व पर खतरा:अनुमति के लिए नहीं पहुंची थाने से रिपोर्ट
