सरकार के लिए जोड़ तोड़ शुरू:रणजीत सिंह और गोपाल कांडा को दिल्ली लेकर गई भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल

हरियाणा- हरियाणा में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत भले ही न मिला हो लेकिन भाजपा 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ऐसे में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए 6 सीटों की आवश्यकता है जबकि चुनाव जीतने वाले 7 आजाद उम्मीदवारों में से 5 भाजपा के ही बागी हैं।
वहीं बचे 2 उम्मीदवार भी लगभग भाजपा को समर्थन देने को तैयार हैं। वहीं हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है और इनेलो नेता अभय चौटाला कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार कर चुके हैं।

रानियां : यहां से चुनाव जीतने वाले रणजीत सिंह 32 साल बाद विधायक बने हैं। इससे पहले वे 1987 में विधायक बने थे और मंत्री भी रहे। वे कांग्रेस की सीट से चुनाव लड़ते आए हैं। इस बार कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया तो आजाद उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर दिया। जीत के तुरंत बाद सिरसा की भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल ने उनकी गाड़ी में बैठकर मुलाकात की। रणजीत सिंह दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।

सिरसा: यहां से जीत हासिल करने वाले गोपाल कांडा पहले भी विधायक रहे हैं। खुद की हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनाव लड़कर जीते। जीत के बाद कांडा ने भाजपा को समर्थन देने के लिए कह दिया है। उनके छोटे भाई गोविंद कांडा का कहना है कि भाजपा से उनकी बात हो चुकी है और वे दिल्ली के लिए निकल चुके हैं।

ऐलनाबाद: यहां से चुनाव जीतने वाले इनेलो के नेता अभय चौटाला ने जीत के बाद साफ कर दिया है कि वे कांग्रेस को कतई समर्थन नहीं देंगे। क्योंकि कांग्रेस ने उनके पिता और भाई को झूठे आरोप में फंसाकर जेल में डाला था। इससे साफ होता है कि अभय भी भाजपा को समर्थन दे सकते हैं।

महम: यहां से चुनाव जीतने वाले बलराज कुंडू पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। वे इससे पहले जिला परिषद के चेयरमैन थे और भाजपा नेता थे। महम से उनकी दावेदारी मजबूत थी लेकिन टिकट कटने के बाद उन्होंने आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। भाजपा उन्हें 100 फीसदी मना लेगी।

दादरी: यहां से चुनाव जीतने वाले सोमबीर सांगवान भी भाजपा के बागी हैं। 2014 का चुनाव भाजपा की सीट पर लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी ने उनकी जगह बबीता फौगाट को टिकट दे दिया। टिकट कटने पर सोमबीर आजाद खड़े हो गए और जीत गए। इसके भाजपा में जाने के आसार हैं।

नीलोखेड़ी: यहां से चुनाव जीतने वाले धर्मपाल गोंदर भाजपा के नेता थे। 2009 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। 2014 में चुनाव नहीं लड़ा। इस चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। टिकट कटने के बाद कार्यकर्ताओं के कहने पर नामांकन के आखिरी दिन 2 घंटे पहले नामांकन दाखिल किया था। ये 100 फीसदी भाजपा में जाएंगे।

पृथला: यहां से चुनाव जीतने वाले नयनपाल रावत 2014 में भाजपा की सीट पर चुनाव लड़े थे और महज 1100 वोट से हार गए थे। इससे पहले के दो चुनाव भी हार चुके थे। हार के बाद भी वे सक्रिय रहे लेकिन भाजपा ने इस चुनाव में उनका टिकट काट दिया। इसके बाद वे आजाद खड़े हो गए और चुनाव जीत गए। भाजपा में जाने के पूरे-पूरे आसार हैं।

पूंडरी: यहां से चुनाव जीतने वाले रणधीर सिंह गोलन पूंडरी सीट पर भाजपा के प्रबल दावेदारों में से एक थे। भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। टिकट कटने के बाद वे कार्यकर्ताओं के बीच रोए और आजाद नामांकन भरा। इस सहानुभूति का उन्हें फायदा मिला और जीत गए। गोलन 100 प्रतिशत भाजपा में जा सकते हैं।

बादशाहपुर: यहां से चुनाव जीतने वाले राकेश दौलताबाद 2009 में निर्दलीय चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए। इसके बाद 2014 में इनेलो की सीट पर चुनाव लड़े फिर हार गए। इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन जीत गए। जीत के बाद वे साफ कर चुके हैं कि वे किसी भी पार्टी में जा सकते हैं, उन्हें अपने क्षेत्र के विकास से मतलब है, पार्टी से कोई मतलब नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।