भारतीय हितों के विपरीत करार करने के विरोध में सीपीआई(एम) कार्यकर्त्ताओं ने फूंका अमेरिकी राष्ट्रपति का पुतला

रोहतक/हरियाणा – मोदी सरकार द्वारा देश की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के दो दिवसीय दौरे में भारतीय हितों के विपरीत करार करने के विरोध में सीपीआई(एम) कार्यकर्त्ताओं ने स्थानीय सुभाष चैक पर अमेरिकी राष्ट्रपति का पुतला फूंका। विरोध कार्रवाई का नेतृत्व माकपा जिला सचिवमंडल सदस्य प्रीत सिंह और कमलेश लाहली ने संयुक्त रूप से किया।
पुतला दहन से पहले एकत्रित कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य इंदरजीत सिंह और पार्टी जिला सचिव विनोद ने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हो रहा है एक विदेशी राष्ट्र अध्यक्ष के निजी दौरे के लिए गुपचुप तरीके से आम जनता के करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति की भारतीय कृषि, दवा उद्योग, बीमा और बैंकिंग समेत कई क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों के मुनाफा कमाने के लिए भारत पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
उनका कहना था कि अब तक भारत ने अपने किसानों को अमेरिकी आयात से बचाने के लिए नीतिगत तरीकों के तौर पर टैरिफ का इस्तेमाल किया है। ट्रंप की मांग है कि भारत इन टैरिफ को खत्म करे। अब अमेरिका भारत के डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्र में भी सेंधमारी करने की कोशिश कर रहा है। इन क्षेत्रों पर भारत के 10 करोड़ से अधिक घरों की जिंदगी जुड़ी हुई है।
सीपीआई(एम) नेताओं ने कहा कि भारत सस्ती जेनेरिक दवाओं के उत्पादन का एक अहम क्षेत्र है। भारत का पेटेंट कानून आम लोगो के लिए सस्ती जेनेरिक दवाओं के लिए सुरक्षा कवच की तौर पर काम करता है। ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान एक बार फिर से दबाव डाला जाएगा कि भारत ऐसे माहौल बनाया, जिससे अमेरिकी दवा कंपनियों को फायदा मिले।
उनका कहना था कि ट्रम्प भारत में अमेरिका के बड़े टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन की बेलगाम पहुंच बनाने के लिए भारत पर जोर डाल रहे हैं। अगर अमेरिका को यह इजाजत मिल जाएगी तो अमेरिका भारत की डिजिटल टेक्नोलॉजी और अर्थव्यवस्था को हद से अधिक नियंत्रित करने लगेगा। इस तरह का समझौता भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले दशकों में बहुत अधिक नुकसान पहुंचाएगा। किसानों, व्यापारियों और मजदूरों को अधिक कष्ट में डालेगा।
सीपीआई(एम) नेताओं ने कहा कि अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में भारत पर कई बिंदुओं पर निशाना साधा है। अमेरिका ने पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भारत की नीतियों को चुनौती दी है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए ये नीतियाँ महत्वपूर्ण हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरीबों को भोजन मिले और किसानों को अपनी उपज की सही कीमत मिले।
उन्होंने कहा कि ट्रम्प की अब यह चाह है कि भारत और दूसरे विकासशील देशों को अब विश्व व्यापार संगठन में विकासशील देशों के तौर पर नहीं रखा जाए। अगर ऐसा होगा तो भारत जैसे देशों के लिए स्पेशल एंड डिफ्रेंशियल ट्रीटमेंट जैसे प्रावधानों को कोई मायने नहीं होगा। यानी भारत की विकासशील स्थिति को देखते हुए भारत के साथ अलग तरह से व्यवहार करने की छूट नहीं मिलेगी। ऐसी में वैश्विक व्यवस्था ही विकासशील देशों को लूटने वाली बन जाएगी।
उनका कहना था कि अमेरिका ने बीमा में और बैंकिंग जैसे कई क्षेत्रों में भारत की निवेश सीमाओं पर भी निशाना साधा है। बीमा में निवेश के जरिये विदेशी मालिकाना हक 49ः और बैंकिंग में 74ः तक हासिल किया जा सकता है। ट्रम्प मीडिया और मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को हटाना चाहते हैं। भारत की ऐसी सभी औधोगिक नीतियों को अमेरिका अपने पक्ष में मोड़ना चाहता है। इस सबसे स्पष्ट है कि मोदी सरकार भारत की संप्रभुता को अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने गिरवी टेक रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा का कड़ा विरोध करते हुए सीपीआई(एम) कार्यकर्त्ताओं ने सुभाष चैक पर अमेरिकी राष्ट्रपति का पुतला दहन किया। विरोध कार्रवाई में बलवान सिंह, धर्मवीर हुड्डा, संजीव सिंह, संदीप, गीता, शीला, नीरज,मंजू ,मदन, रविंद्र किलोई, विनोद बहूअकबरपूर, मोहित,खेमचंद, अनीता, रामगोपाल रिठाल, सुनील, राज सिंह प्रमुख तौर पर शामिल थे।

– रोहतक से हर्षित सैनी

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