पूर्णिया/बिहार-बिहार में लोकसभा चुनाव का होना बहुत से लोगो के लिए एक पर्व माना जाता है और बहुत से लोग इस चुनाव को लेकर उत्साहित और खुश हो जाते हैं। वो लोग और उनकी सारी बिरादरी खुशी से झूमने लगते है ,मानो चुनाव में उन्हें किसी देवता का दर्शन होने वाला है। पर खास बात यह है कि 2019 में बिहार सहित पूरे देश मे लोक सभा चुनाव होना है और अभी से सारे राजनीतिक दल अपने काम काज में जुड़ चुके हैं, अभी से ही जनता के लिए झूटे सच्चे वायदे किए जा रहे हैं। और जनता भी खूब मजे ले रही हैं।
पर बिहार में पहले भी जदयू और भाजपा गठबंधन की सरकार रही हैं। यहाँ सबको पता है कि बिहार में चुनाव जाति के आधार पर होता हैं । और जातीय समीकरण से ही बिहार में सरकार बनती हैं जहाँ तक माना जाता है कि बिहार में कभी भी एक दल को पूर्ण बहुमत से सरकार नही बन सकती ,अब देखना है कि भाजपा और जदयू में कुल कितने सीटो का बंटवारा होता हैं ,बिहार में कुल 40 लोकसभा की सीटें है , पिछले 2014 लोक सभा मे जदयू को मात्र 2 ही सीट मिले थे।
2019 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नई दिल्ली में होने जा रही है। इसमें पार्टी 2019 के आम चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पर फैसला ले सकती है।
इस बेहद अहम बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हो रहे हैं। उनकी पार्टी 2019 के आम चुनाव के दौरान बिहार में बड़े साझेदार के तौर पर ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी और उनके रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगियों को देखते हुए सीटों के मुद्दे पर घमासान बढ़ सकता है।
आधिकारिक तौर पर बीजेपी की ओर से कुछ नहीं कहा गया है कि लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी नीतीश कुमार को बड़े साझेदार के तौर पर पेश नहीं करेगी।
-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट