हज़ार महीने की इबादत से ज्यादा है शबे- क़दर की एक रात

सम्भल- शबे कद्र की रात की फज़ीलत बयान करते ह्यूमन केयर चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक नाजिश नसीर ने उपनगरी सराय तरीन मे कहा कि इस वक्त रमज़ान का मुबारक महीना चल रहा है पूरी दुनिया मे मुसलमान रोज़े रख रहे हैं। बारह महीनों मे रमज़ान मुबारक सबसे अफ़ज़ल तरीन महीना है। अल्लाह ताआला ने अपने बन्दों के लिए इस मुकद्दस महीने मे बे पनाह बरकतें,रहमते रखी है। रमज़ान मुबारक को तीन हिस्सों मे तकसीम किया हुआ है पहला अशरा(पहले 10 दिन) रहमत दूसरा अशरा(दूसरे 10 दिन) मग्फिरत और तीसरा अशरा (तीसरे 10 दिन) मे जहन्नुम से आज़ादी होती है अब आखिरी 10 दिन रमज़ान के महीने के बाकी है,शबे कद्र बड़ी फजीलत वाली रात है। कुरान करीम में इस एक रात की इबादत को हजार महीनों की इबादत से बढ़ कर बताया गया है। रमजान शरीफ के आखिरी दिनों में 21, 23, 25, 27 व 29वीं रातों में से वह एक रात होती है। लिहाजा शबे कद्र की फजीलत हासिल करने के लिए काफी मुसलमान इन सारी रातों में पूरी रात इबादत करते हैं।
हुजूर नबी-ए-करीम ने फरमाया है कि शब-ए-कद्र को रमजान के आखिरी दिनों की ताक रातों में तलाश करो। उलमा का इस पर इत्तेफाक है कि शब-ए-कद्र रमजान की 27वीं रात है। इस रात में इबादत का सवाब हजार महीनों की इबादत से ज्यादा है। शब-ए-कद्र में कुरान मजीद लौहे महफूज के आसमान से दुनिया में नाजिल हुआ। शब-ए-कद्र के तीस हजार दिन और तीस हजार रातों से अफजल हैं। इस मुबारक आखिरी अशरे में खूब अल्लाह ताआला से मुल्क और दुनिया मे आई कोरोनावायरस की शक्ल मे महामारी से निजात दिलाने के लिए दुआएं मांगे। मुल्क मे अमन शांति व भाईचारे के लिए दुआएं करें।

सम्भल अंतिम विकल्प से सय्यद दानिश

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