सावधान : यहां संक्रमण रोगियों का इलाज कर रहे हैं आंख वाले डॉक्टर साहब

*गोरखपुर बस्ती मंडल के एकमात्र संक्रमण रोग चिकित्सालय का गजब है हाल

*अस्पताल की सारी व्यवस्था करता है नगर निगम जबकि सीएमओ के जिम्मे है डॉक्टर की तैनाती

गोरखपुर। कोविड संक्रमण काल के बीच किसी अन्य संक्रमण की बात करना बेमानी है लेकिन बात तो करना ही पड़ेगा क्योंकि समय से पहले व्यवस्था में सुधार न हुआ तो आने वाले समय में आमजन का हलाकान होना तय है।
हम बात करे रहे हैं गोरखपुर और बस्ती मण्डल के एक मात्र संक्रमण रोग चिकित्सालय की जहाँ बिगड़े निज़ाम के बीच एक नेत्र चिकित्सक को संक्रमण रोगियों के इलाज के लिए तैनात किया गया हैं यानी आंखों का डॉक्टर संक्रमण रोगियों का इलाज करेगा। वैसे भी यहां तैनात डॉक्टर साहब का ज़्यादातर समय नेत्र शिविरों और वीआईपी ड्यूटियों में गुज़रता है । अस्पताल की पूरी व्यवस्था यहां तैनात एक फार्मासिस्ट और दूसरे स्टाफ के जिम्मे है।
हलांकि यहां एक दूसरे डॉक्टर साहब भी अटैच हैं और उनकी मूल तैनाती सीएचसी सहजनवां पर है । दिनभर सहजनवां में मरीजों का इलाज कर जब डॉक्टर साहब घर वापस आते हैं तो एक नज़र अस्पताल पर भी डाल देते हैं क्योंकि डॉक्टर साहब का आवास ही संक्रमण रोग चिकित्सालय परिसर में हैं।
वर्तमान समय में गोरखपुर में स्थित इस संक्रमण रोग चिकित्सालय की सारी व्यवस्था तो नगर निगम देखता है लेकिन डाक्टरों की तैनाती जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी के जिम्मे है।
बहरहाल “नीम हकीम खतरा ए जान” की कहावत को झुठलाते हुए मूलभूत सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहे इस अस्पताल में सिर्फ एक फार्मासिस्ट और सहयोगियों के भरोसे कोरोना संक्रमण काल में भी लगभग 720 मरीजों का इलाज हुआ जो किसी ताज्जुब से कम नहीं।

अस्पताल की वर्तमान दुर्दशा तक पहुंचने की दास्तान

जर्जर और खस्ताहाल भवन में चल रहे संक्रमण रोग चिकित्सालय की दुर्दशा की दास्तान तब शुरू होती है जब तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 हरी प्रकाश खरे रिटायर हुए । डॉ0 खरे नगर स्वास्थ्य अधिकारी के साथ ही अस्पताल के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे। उसके बाद कुछ समय तक डॉ0 पीसी तिवारी ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी और अस्पताल के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाली। नगर आयुक्त सूर्य लाल सिंह के समय जब अंजू चौधरी गोरखपुर की महापौर थी तब नगर निगम ने मुख्य चिकित्साधिकारी को सूचित किया गया था कि उनके पास डॉक्टर न होने के कारण अब अस्पताल चलाना संभव नहीं है।काफी जद्दोजहद के बाद 2012 में डॉ0 सतीश सिंह की तैनाती से संक्रमण रोग चिकित्सालय की व्यवस्था सुधरी लेकिन 2019 में डॉ0 सतीश का सहजनवां स्थानांतरण हो जाने के बाद से व्यवस्था फिर बिगड़ गई और तभी से अस्पताल बैसाखियों के सहारे चल रहा है।
अब हालत यह है कि पूर्व में पिपराईच में तैनात रहे नेत्र चिकित्सक और वर्तमान नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 मुकेश रस्तोगी अस्पताल परिसर में बने कार्यालय में बैठते तो हैं लेकिन अस्पताल की हालत और जिम्मेदारी से पूरी तरह से मुक्त हैं।

मनव्वर रिज़वी

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