सरकार समाप्त करे इंटरस्टेट ई-वे बिल की अनिवार्यता

भदोही- अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के तत्वाधान में बुधवार को नगर के मर्यादपट्टी स्थित कालीन भवन के एकमा सभागार में वस्तु एवं सेवाकर के अंतर्गत इंटरस्टेट ई-वे बिल पर सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें ई-वे बिल को उत्पादकताओं एवं कामगारों के लिए अनावश्यक भार व परेशानी का कारण बताया गया।
इस दौरान एकमा के मानद सचिव पीयूष बरनवाल ने कहा कि कालीन उद्योग असंगठित क्षेत्र के माध्यम से संचालित हो रहा है। जिसमें 20 लाख से ज्यादा पिछड़े भूमिहीन अथवा अनुसुचित जाती के ग्रामीण बुनकर लगे है। कहा कि अपने निर्यात के दम पर यह उद्योग देश को प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ विदेशी मुद्रा अर्जित करा रहा है। उद्योग में छोटे निर्यातकों की संख्या 75 फीसदी के आस-पास है। जो जीएसटी के प्रावधानों का पालन करने में सक्षम नही है। कहा कि निर्माण के बाद कालीन कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है। साधारणतया इन अर्धनिर्मित कालीनों की कोई बिक्री योग्य मुल्य नही होता। इस पर किसी भी प्रकार का राजस्व अथवा जीएसटी की देयता नही है। कहा कि हर निर्माण एवं जांव वर्क पर संचरण के दौरान ई-वे बिल जनरेट करना एक पूर्णकालिक काम है। जो रोजमर्रा के कामों में बाधा पहुंचाने वाला एक अदुरदर्शिता पूर्ण निर्णय है। इससे न तो यूपी सरकार को हानि है और न ही लाभ है। इससे उद्योग प्रभावित होगा और बुनकरों का पलायन हो रहा है। उद्यमियों ने इंटरस्टेट ई-वे बिल की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की।
इस मौके पर हाजी शाहिद हुसैन अंसारी रवि पटोदिया हाजी अब्दुल सत्तार अंसारी हाजी अशफाक अंसारी शिवसागर तिवारी शमीम आलम इश्तियाक खां जय प्रकाश गुप्ता अरशद वजीरी व राजेन्द्र प्रसाद आदि प्रमुख रुप से मौजूद रहे। अध्यक्षता एकमाध्यक्ष हाजी गुलाम सर्फुद्दीन अंसारी ने की।

पत्रकार आफ़ताब अंसारी

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