श्रावकों को आठ दिन सौदर्य प्रसाधनों के उपयोग का करवाया त्याग: 14 सितम्बर को होगा संवत्सरी पर्व

*जैन तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व पर अखंड णमोकार महामंत्र यज्ञ शुरू

रोहतक/हरियाणा- ग्रीन रोड स्थित जैन तेरापंथ भवन में शुक्रवार से पर्युषण महापर्व का शुभारम्भ हुआ। आठ दिन चलने वाले इस महापर्व में धर्म प्रेमी जैनबंधु जप, तप, त्याग, ध्यान, धर्म की साधना करते हैै।
साध्वी कंचन कुमारी के सानिध्य में श्रावकों को पहले दिन सौदर्य प्रसाधनों के उपयोग का त्याग करवाया व णमोकार महामंत्र का अखंड जाप शुरू करवाया। साध्वी कंचन कुमारी ने कहा कि आठ दिनों में साधना का विशेष महत्व होगा है और इन दिनो में की गई साधना जन्मों जन्मो कष्ट काट देती है।
उन्होंने कहा कि श्रावकों को प्रतिदिन समायिक व प्रतिक्रमण जरूर करना चाहिए। रात्रि भोज का त्याग, ब्रहमचार्य का पालन करना, जमीकंद का त्याग, सिनेमा जाने का त्याग व घर में टीवी देखने का त्याग करना चाहिए। राग और द्वेष दो हेतुओ में से पाप कर्म का बंध होता है। ये दोनो कर्म बंध के बीच है, जितना भी पाप कर्म का बंध होता है, इन दोनों के कारण होता है।
उन्होंने कहा कि मोहनीय कर्म कर्मो का राजा है और यह हमें प्रमाद की और ले जाता है। पाप कर्मो का जिम्मेदार है। हमारे कांस्य वे है क्रोध, मन, माया, लोभ से साधु इनसे मुक्त रहने का प्रयास करते हैं। साध्वी ने कहा कि यदि हमे गुस्सा आता है वह चेहरे पर प्रकट होता है तो हमारा काया योग अशुभ हो गया। यदि वचन योग और मन में गुस्सा आता है तो मन योग अशुभ हो गया है।
इस प्रकार अभियान भी शरीर वाणी व वचन में आ जाता है, जहां अपना प्रभाव डालता है। वह अशुभ हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने योगों को काषय मुक्त रखने का प्रयास रखता है, शुद्ध काषय मुक्त योग आत्मा कल्याण का हेतु बनता है, वह उचित मार्गदर्शन से परिष्कृत होता जाता है।

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