बरेली। ज्योतिष मे शुक्र देव को दांपत्य और प्रेम संबंधों के साथ समस्त सांसारिक सुखों का कारक माना जाता है। कुंडली में शुक्र देव की शुभ स्थिति हो तो जीवन में सभी भौतिक सुख आसानी से प्राप्त होते हैं। शुक्र देव के कमजोर, अशुभ या अकारक होने पर घर, वाहन, शादी आदि का पूर्ण सुख नहीं मिल पाता है। सनातन धर्म में वैवाहिक कार्यों के लिए शुक्र ग्रह का बहुत महत्व है। शुक्र जब सूर्य के साथ आ जाता है, तब सूर्य के प्रभाव से उसका दिखना बंद हो जाता है। इसी को शुक्र का अस्त होना कहते हैं। जैसे ही शुक्र सूर्य से अलग होकर आकाश में दिखने लगता है, तो उसे शुक्र का उदय होना कहते हैं। शुक्र 14 फरवरी को अस्त हुए थे, जो अब 19 अप्रैल को उदय होंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। विश्व पंचांग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अनुसार शुक्र का उदय 19 अप्रैल को सुबह 5:41 बजे पर होगा। यह समय अक्षांश रेखा के अनुसार प्रत्येक स्थान पर बदल जाता है। लिहाजा नीमच पंचांग में शुक्र के उदय होने का समय रविवार को रात साढ़े नौ बजे बताया गया है। विवाह की लग्न 22 अप्रैल से शुरू होंगी। शुक्र अस्त होने पर यदि विवाह किया जाए तो व्यक्ति वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं ले पाता है। ऋषि मुनियों ने ग्रह-दशाओं पर शोध करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि शुक्र ग्रह के उदय होने पर ही विवाह करना चाहिए। इस बार विक्रम संवत को राक्षस संवत भी कहा गया है। लिहाजा साल भर जनमानस को विभिन्न प्रकार के उत्पातों से स्वयं की रक्षा करनी होगी।।
बरेली से कपिल यादव