शिक्षक भर्ती : चयन बोर्ड ने घटाए प्रवक्ता और टीजीटी के 522 पद, अब सिर्फ 8772 पद

प्रयागराज – प्रदेश भर के अशासकीय माध्यमिक कालेजों की शिक्षक भर्ती में लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने 522 पद घटाने का औपचारिक एलान अपनी वेबसाइट पर किया है। इस कदम से अभ्यर्थियों में हलचल की स्थिति है, क्योंकि स्नातक शिक्षक जीव विज्ञान विषय के पद निरस्त करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है, उसके बाद इस तरह पद घटने की उम्मीद नहीं थी।

चयन बोर्ड अशासकीय कालेजों में प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन करता है। वर्ष 2016 की प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा क्रमश: फरवरी व मार्च में दो-दो दिन कराई गई है। यह इम्तिहान पूरा होने के बाद अब चयन बोर्ड ने वेबसाइट पर लिखा है कि प्रवक्ता 2016 में बालक वर्ग के पद पहले 1180 थे, अब वे घटकर 1142 हो गए हैं। बालिका वर्ग में पहले पद 164 थे, वह घटकर 148 रह गए हैं।यानी प्रवक्ता का विज्ञापन 1344 पदों के लिए था, वह घटकर 1290 हो गया है।

इसी तरह से स्नातक शिक्षक 2016 बालक वर्ग में पहले पद 7316 थे, जो अब 6879 रह गए हैं। वहीं बालिका वर्ग में पहले 634 पद थे, जो अब 603 रह गए हैं। यानी स्नातक शिक्षक का विज्ञापन 7950 पदों का था, जो घटकर 7482 हो गया है। चयन बोर्ड ने सभी वर्गों सामान्य, ओबीसी, एससी व एसटी में पद कम किए हैं। चयन बोर्ड ने लिखित परीक्षा के बाद दोनों के कुल पद 9294 को कम करके 8772 कर दिया है।

पद कम करने पर यह दावा:-

चयन बोर्ड सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रवक्ता के 26 विषयों में से दो विषयों वनस्पति विज्ञान व संगीत के पद यूपी बोर्ड ने खत्म कर दिया है। इसी तरह से स्नातक शिक्षक के 22 विषयों में से छह पद जीव विज्ञान, संगीत, काष्ठ शिल्प, पुस्तक कला, टंकण, आशुलिपिक टंकण के पद भी यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में नहीं है। इसी तरह से कई विषयों के पदों का डीआइओएस ने सत्यापन नहीं किया है और 10 दस पदों पर शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर समायोजन किया जा चुका है।

दूसरी बार वही पद निरस्त क्यों:-

चयन बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने 12 जुलाई, 2018 को प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक के आठ पदों को निरस्त करने का एलान किया था। उनका कहना था कि यह बोर्ड का फैसला है। उसके सात माह बाद लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर फिर इन पदों को निरस्त करने का नए सिरे से आदेश करने की जरूरत क्यों पड़ी, जबकि चंद दिन पहले ही इसकी लिखित परीक्षा हुई है। यही नहीं जीव विज्ञान के पदों को निरस्त करने का प्रकरण कोर्ट में सुनवाई हो रही है।

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