गाजीपुर। विधायक डा. संगीता बलवंत से सदर एसडीएम विनय कुमार गुप्ता को पंगा लेना महंगा पड़ा। एसडीएम के पुरजोर राजनीतिक प्रयास के बावजूद उन्हे डिमोशन का सामना करना पड़ा। एसडीएम सदर के खिलाफ विधायक डा. संगीता बलवंत ने मार्च महीने में भ्रष्टा चार का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी के बालाजी से उन्हे तत्काल हटाने के लिए कहा था। डीएम ने मार्च का महीने का हवाला देते हुए विधायक इस मामले में 31 मार्च तक का समय मांग लिया। 31 मार्च के बाद भी जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर का राजनैतिक दबाव के चलते स्थानांतरण नही किया। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सदर विधायक जो महिला एवं बाल विकास समिति की सभापति हैं, वह झांसी मंडल में विकास कार्यो का निरीक्षण करने गयी थीं। निरीक्षण के बाद सोमवार को सभापति/विधायक डा. संगीता बलवंत ने प्रमुख सचिव एवं जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक किया। बैठक के दौरान विधायक ने प्रमुख सचिव से एसडीएम के मामले में डीएम की शिकायत कीं। विधायक के बात को प्रमुख सचिव ने गंभीरता से लिया और जिलाधिकारी से तत्काल एसडीएम सदर विनय कुमार गुप्ता को हटाने का निर्देश दिया। प्रमुख सचिव के आदेश के क्रम में एसडीएम सदर को जिला प्रशासन ने डिमोशन करते हुए एएसडीएम बना दिया। इस संदर्भ में डा. संगीता बलवंत ने पूर्वांचल न्यूज डाट काम को बताया कि हमारे विधानसभा में भ्रष्टाचारी व कार्यो में लापरवाही करने वाले अधिकारी व कर्मचारी नही रहेंगे। जो अधिकारी समय पर काम नही करे उसे सीएम योगी के सरकार में काम करने का कोई अधिकार नही है। अधिकारी मुख्यमंत्री जी के मंशा के अनुसार विकास कार्य को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करें। उन्होने बताया कि भ्रष्टाचार के प्रकरण में हमने जिलाधिकारी के बालाजी को पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड-एक का ई-टेंडरिंग में भ्रष्टाचार का मामले को संज्ञान में लाया है। जिलाधिकारी ने दस अप्रैल तक का समय लिया था लेकिन अभी तक कोई जांच का परिणाम नही आया है। समय रहते अगर इसपर कार्यवाही नही हुई तो यह मामला सीएम के दरबार में जायेगा।
-प्रदीप दुबे,गाजीपुर