वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को उमड़ी काशी

वाराणसी- साधना के लिए शक्‍ति जरूरी। विद्वानों की मानें तो किसी भी प्रकार की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है और शक्ति की साधना का पथ अत्यंत गूढ और रहस्यपूर्ण है। हम नवरात्र में व्रत इसलिए करते हैं, ताकि अपने भीतर की शक्ति, संयम और नियम से सुरक्षित हो सकें। उसका अनावश्यक अपव्यय न हो। संपूर्ण सृष्टि में जो ऊर्जा का प्रवाह है, उसे अपने भीतर रखने के लिए स्वयं की पात्रता तथा इस पात्र की स्वच्छता भी जरूरी है।

उमड़ा मां के भक्‍तों का रेला

नवरात्रि के पहले दिन भगवती दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन का विधान है। इसमें सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का विधान है। इसे देखते हुए रविवार को वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिन वाराणसी के अलईपुर स्‍थित मां शैलपुत्री के पावन मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा।
वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है। आज से अगले आठ दिनों देवी पूजा का विशेष महात्‍म्‍य है। मान्‍यता है कि मां दुर्गा परमात्मा की वह शक्ति हैं, जो स्थिर और गतिमान दोनों है। यहीं से मां पूरी दुनिया में संतुलन बनाये रखती हैं।

*इसलिये कहलायीं शैलपुत्री*

हिमालय के यहां जन्म लेने से मां भगवती को शैलपुत्री कहा गया है। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का पुष्प है। इन्‍हें पार्वती स्‍वरूप माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्‍या की थी। मां शैलपुत्री के दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट मिट जाते हैं।

रिपोर्ट-:अनिल गुप्ता वाराणसी

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