बरेली। परिवहन निगम की बसों के रंग में रंगी डग्गामार बसें भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों के संचालकों ने अधिकारियों की आंखों में धूल झोकने के लिए अपनी बसों का भी बदल लिया है। अधिकारियों के साथ ही सवारी भी धोखा खा रही हैं। इस डग्गामारी से परिवहन निगम को प्रतिमाह लगभग लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है। यात्रियों को गुमराह करने के लिए परिवहन निगम की बसों के रंग में प्राइवेट बसों को रंग दिया गया है। यात्री रोडवेज और डग्गामार बस में फर्क नहीं कर पा रहे है। रोडवेज की जगह प्राइवेट बसों में यात्री सवार हो जाते है। इन्हीं यात्रियों से प्रतिमाह परिवहन निगम को लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है। शहर के व्यस्ततम चौराहे चौकी चौराहा, सैटेलाइट बस अड्डे के आसपास से बरेली से कासगंज, बरेली से खुटार व बरेली से मुरादाबाद के परिवहन निगम की बसों के रंग में रंग पर एक दर्जन से अधिक बसों का संचालन हो रहा है। जिनके खिलाफ आरटीओ को कई पत्र लिखकर इन बसों के संचालन पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। ऐसे में बस संचालकों के खिलाफ कार्यवाही न होने से परिवहन विभाग को हर माह लाखों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है। सैटेलाइट बस अड्डे पर डग्गामार वाहन चालक व रोडवेज कर्मचारियों के बीच कई बार झगड़ा भी हो चुका है। जिसको लेकर सैटेलाइट पुलिस चौकी ने वाहन चालक को पकड़कर समझौता होने के बाद छोड़ दिया जाता है। इन बसों का संचालन के बाद भी विभागीय अफसर इस ओर गंभीर नहीं हैं और कार्रवाई करने से बच रहे है।
अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में डग्गामार वाहनों के संचालन पर अंकुश लगाने के लिए पत्र लिखा जा चुका है। यात्री ट्रेनों का संचालन न होने से रोडवेज यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन डग्गामार वाहनों के संचालन पर अंकुश न लगने से हर माह लाखों रुपए का घाटा हो रहा है।
– एसके बनर्जी, क्षेत्रीय प्रबंधक, बरेली परिक्षेत्र
बरेली से कपिल यादव