रेलों के अभाव में आर्थिक बोझ से टूट रहें भारतीय सेना के जवान ओर प्रवासी राजस्थानी

बाड़मेर/ राजस्थान- बस,पब्लिक का अब एक ही सवाल। क्या अबकी बार भी दक्षिण भारतीय क्षेत्र में बसें हुए भारतीय सेना और प्रवासी राजस्थानियों को बिना रेलगाड़ियों के ही नेताजी को जीताने के बाद जयपुर दिल्ली भेज दोगे, और जग हंसाई के लिए खुद को बुद्धू बना लोगे ? हम तो कहते हैं,,, भई, बड़ी हिम्मत का काम हैं, एक दिन के लिए नेताजी के लंगरो में जाकर हलवापूरी खाकर नेताजी के अन्न का कर्ज उतारना और खुद को अगले पाँच साल तक बुद्धू बनाना और बदले में नेताजी को पांच साल तक केन्द्र सरकार सौपकर मलाई खाने के लिए दिल्ली तक भेजना।

जैसलमेर – बाड़मेर में भाभर से रेले आएगी, और आप लेह – लद्दाख ,जम्मू-कश्मीर , हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब से बीकानेर जैसलमेर के रास्ते बाड़मेर होते हुए गुजरात ओर दक्षिण भारत के अन्य राज्यों तक रेलगाड़ियों से पहूंच जाओगे। इससे पश्चिमी राजस्थान के सीमांत जिलों के लोगो का कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सीधा सफर आसान हो जाएगा। फिर आप बिजनेस करने, गंभीर बीमारियों में रोगियों का ईलाज करवाने, रिस्तेदारीयां निभाने और भ्रमण आदी के लिए आसानी से सस्ते दामो पर सफर कर सकेंगे, वो भी रेलगाड़ियों से। रेल जो सीधे आपके बाड़मेर जैसलमेर से चलकर गुजरात होकर दक्षिण भारत के अन्य छोटे बड़े शहरों में पहूंचेगी। यह रेलगाड़ियों को हम लाऐंगे। इसलिए आप हमारी पार्टी को वोट दिजिए, हमारी सरकार बनते ही, हमारी पहली प्राथमिक्ता यही रहेगी कि हम आपके लिए जैसलमेर – बाड़मेर – भाभर के रास्ते रेल लाईन बिछाऐंगे।

इन चिकनी चुपड़ी बातों में आकर पश्चिमी राजस्थान की जनता ने लाखों की तादात में अपने बेशकिमती वोट समय-समय पर राजनीतिक पार्टीयों को देकर राज्य और देश का मुखिया का ताज पहना दिया। लेकिन जैसे ही ताजपोशी हुई वेैसे ही बेवकूफ जनता से किये वादे को इन राजनीतिक पार्टियों ने कचरे की टोकरी में डाल दिया। अब इन नेताओं की चतुराई और पश्चिमी राजस्थान की जनता की बेवकूफी को देखिए… पांच साल बितते ही यह नेता फिर मदारी की तरह बड़ा मजमा लगाने के लिए आते हैं, फिर रेलगाड़ियों को लाएगें का वादा करते है, फिर बेवकूफों से वोट लेकर राजा बनकर पांच साल तक राज करते हैं। और पांच साल पूरे होने पर फिर उसी वादे के साथ वापस आ जाते हैं और पश्चिमी राजस्थान की बेवकूफ जनता फिर से हलवे पूरी और शराब की महफीलों मे मुफ्त का खाकर अपनी मति भ्रष्ट करके फिर से अपना बेशकिमती वोट देकर हलवे पूरी का अहसान उतार कर आ जाते है। हैं न कमाल की बात, और कमाल के हमारे परिश्चमी राजस्थान के लोग,,, जो रेल सेवाओं का वादा करके जीतने वालों को बार बार वोट देकर खुद बुद्धू बनना मंजूर कर लेते हैं किन्तु इन जीते हुए नेताओं के हलक में हाथ डालकर उनके पेट से रेलगाड़ियों को नही निकाल सकते। डरते है बेचारे, कहीं हमारे विरोध या रेलगाड़ियों को मांगने से नेता जी नाराज न हो जाए और नेता जी क्रोधित होकर इनकी नीजि सम्पति पर बुलडोजर न चलवा दे, जैसा आज-कल आप देख रहे हैं। इसी डर के कारण जैसलमेर से भाभर तक चलने वाली रेलगाड़ियों को इन नेताओं के वादो की टोकरी में दफन पड़ी है।

देश के पिछली सरकारों के
रेल बजट में बाड़मेर जैसलमेर को गुजराज के भाभर से जोड़ने वाली रेल लाईन के लिए मंजूरी की घोषणाए भी की गई। बाड़मेर जैसलमेर के चौराहों पर इस खुशखबरी पर पार्टीके छोटे बड़े नेताओं ने जनता को बेवकूफ बनाने के लिए खूब पटाखे फोड़े, मिठाईया भी बांटी, लेकिन चार दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज दिन तक भाभर से चलकर बाड़मेर जैसलमेर के लिए रेलगाड़ी या फिर कोई पटरी नही बिछाई और नहीं जनता के लिए कोई रेल सेवा भी
नही आई। जनता, इंतजार से उबकर रेल के लिए विद्रोह न कर दे इसके लिए रेल कहां से गुजरेगी, कौन कौनसे स्टेशन होंगे, इसबात का सर्वे भी हुआ और बाड़मेर जिले के समाचार पत्रों के मुखपृष्ट पर भी छपे। लोगो ने इन रूटमेप की खबरों को सहेज कर रख लिया। लेकिन इंतजार की हद भी देखो, रेलगाड़ियां तो क्या पटरी भी अभी तक नही आई।

बस, अब एक ही सवाल। क्या अबकी बार भी बिना रेलगाड़ियों के ही नेताजी को जीताकर जयपुर दिल्ली भेज दोगे, और जग हंसाई के लिए खुद को बुद्धू बना लोगे। हम तो कहते हैं,,, भई, बड़ी हिम्मत का काम हैं, एक दिन के लिए नेताजी के लंगर में जाकर हलवापूरी खाकर नेता जी के अन्न का कर्ज उतारना और खुद को बुद्धू बनाना और बदले में नेताजी को पांच साल तक सरकार सौपकर मलाई खाने के लिए जयपुर दिल्ली भेजना।

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