राम-सीता के चार प्रकार के हुए विवाह से समाज को अनुकरण करना चाहिए:गोविन्द शास्त्री

आजमगढ़- नगर के आरटीओ कार्यालय के निकट एक मैरेज हाल में चल रहे रामकथा के तीसरे दिन शनिवार को बाल व्यास राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित गोविन्द शास्त्री जी ने रामचरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान राम के चार विवाह मंशा, वाचा, कर्मणा, जयमाल के साथ हुआ था ऐसा अलौकिक विवाह धरती पर आज तक किसी का नहीं हुआ। राम-सीता के चार प्रकार के हुए विवाह से समाज को अनुकरण करना चाहिए क्योंकि जब तक विवाह में पूरे तरह से चिंतन नहीं होगा तब तक वह विवाह सफल नहीं होगा। उन्होंने चौपाई राम सरीष पर दुलहिन सीता, समधि दशरथ जनक पुनीता का उल्लेख किया तो पूरे श्रोता राम के नाम पर गोता लगाने लगे।
आगे पंडित शास्त्री जी ने कहा कि राम जी चार भाई थे तो सीता जी चार बहने थी। राम जी के नाम का पिता अवधेश था तो सीता जी के पिता मिथिलेश थे। उनके राज्यों का नाम जनकपुर तो अवधपुर था। सीता जी के यहां कमला नदी थी तो राम जी के यहां सरयू नदी प्रभावित होती थी। इसी तरह दोनों के माताओं का भी नामों का अंक समान था इतनी समानता के बाद प्रभु श्रीराम प्रतापी हो गये अर्थात किसी भी विवाह में जब सर्वगुण मिल जाते थे तो वह मिलन श्रेष्ठ हो जाता हैं इसलिए विवाह में हर चीजों का मिलान जरूर करें। आज के परिवेश में लोग संस्कार नहीं देखकर आर्थिक सम्पन्नता के आधार पर विवाह की नींव रखते है समाज को इस पर सोचना चाहिए। पैसो से कार मिल सकती है लेकिन प्रभु श्रीराम जी जैसा संस्कार नहीं मिल सकता। कथा आयोजक लल्लु बाबा ने कहा कि श्रीराम जी के संस्कार को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए, यदि हम श्रीराम जी के संस्कार पर चलेंगे तो दूसरों का कल्याण कर सकेंगे।
इस अवसर पर अशोक सिंह, रीता सिंह, बृजेश दुबे, वंशीधर सिंह, अरविन्द्र यादव मंहत, सौरभ उपाध्याय, भोलू, विपिन सिंह, जितेन्द्र सिंह, जेपी उपाध्याय, सहित क्षेत्र के हजारों श्रोतागण मौजूद रहे।

रिपोर्टर:-राकेश वर्मा आजमगढ़

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