राजस्थान में अब सफर के दौरान सुरक्षित होंगी ‘निर्भया’

राजस्थान/जयपुर- परिवहन विभाग ने महिला सुरक्षा की दिशा में अहम आदेश जारी किए हैं। अब किसी भी सार्वजनिक सेवा से जुड़े वाहन का पंजीयन ही तभी किया जाएगा, जब उसमें पैनिक बटन लगा होगा। वाहन की रियल टाइम लोकेशन जानने के लिए जीपीएस सिस्टम लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। प्रदेशभर के आरटीओ-डीटीओ इसकी पालना करवाएंगे।
बसों या टैक्सी में महिला यात्रियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न की घटनाओं में अब उनके पास बचाव का एक बड़ा रास्ता होगा। परिवहन विभाग ने सभी तरह के सार्वजनिक सेवा वाहनों में पैनिक बटन लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यात्री वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम लगाने की अनिवार्यता कर दी है और इसकी पालना में परिवहन विभाग ने भी अब सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। आदेश यह जारी किए गए हैं कि नए पंजीकृत होने वाली बसों, टैक्सी, मैक्सी, कैब आदि सार्वजनिक यात्री सेवा के वाहनों के पंजीयन के समय इनमें दोनों उपकरण लगे होने चाहिए। यदि उपकरण लगे हुए नहीं हैं, तो इनका पंजीकरण ही नहीं किया जाएगा। हालांकि ज्यादातर वाहनों में अब मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां ही पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम लगे हुए हैं, लेकिन जिन वाहनों में कंपनियों ने उपकरण नहीं लगाए हैं, उनमें खरीददार को उपकरण लगाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। दरअसल सार्वजनिक वाहन निर्माण नियम एआईएस 140 के अन्तर्गत पैनिक बटन और जीपीएस लगाना अनिवार्य किया गया है।
*कैसे काम करेगा पैनिक बटन ?*
– पैनिक बटन 5 सीटर टैक्सी-कैब में ड्राइवर सीट के पीछे लगेगा
– यह एक लाल रंग का बटन होगा, बसों में 4 अलग-अलग जगह लगेगा
– खतरा महसूस होने पर कोई भी महिला, बालक, बुजुर्ग दबा सकते हैं
– बटन दबाते ही मैसेज नासा के गगन सॉफ्टवेयर पर जाएगा
– यहां से पुलिस कंट्रोल रूम सूचना पहुंचेगी, यह वाहन सॉफ्टवेयर से जुड़ा होगा
– वाहन सॉफ्टवेयर से सम्बंधित वाहन मालिक की पूरी सूचना निकल जाएगी
– पैनिक बटन व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम से भी जुड़ा होगा
– सम्बंधित वाहन की लोकेशन भी पुलिस को मिल जाएगी
*सम्बंधित नजदीकी थाना पुलिस उस वाहन को रोककर कार्रवाई करेगी*
हालांकि इस पूरी मुहिम का नकारात्मक पहलू यह है कि परिवहन विभाग और पुलिस विभाग मिलकर इसका संयुक्त कंट्रोल रूम नहीं बना सके हैं। पैनिक बटन से गगन सॉफ्टवेयर के जरिए जो सूचना पुलिस कंट्रोल रूम में मिलेगी, उस सूचना को रिसीव करने के लिए सर्वर तैयार नहीं किया जा सका है। ऐसे में वर्तमान में पैनिक बटन यात्रियों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है। बटन की कीमत निर्धारित नहीं होने से कंपनियां बस संचालकों से 7 से 10 हजार रुपए वसूल रही है। उल्लेखनीय है कि पैनिक बटन लगाने की शुरुआत देश में सबसे पहले 2 साल पहले राजस्थान रोडवेज की 20 बसों से हुई थी। शुरूआत में 10 सुपर लग्जरी 10 डीलक्स बसों में लगाया गया था। इसके बाद केंद्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से 4500 बसों में लगाया जाना था, लेकिन अभी तक इस योजना ने मूर्तरूप नहीं लिया है। इन 20 बसों में जो पैनिक बटन लगे थे, उनमें से अधिकांश खराब हो चुके हैं। हालांकि पुलिस और परिवहन विभाग इसका सर्वर अभी तक तैयार नहीं कर सके हैं।

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