फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। कोरोना महामारी के लगातार बढ़ रहे संक्रमण के कारण लोगों की सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। महामारी का असर पर्व, त्यौहार, पौराणिक परंपराओं पर भी पड़ा है। कोरोना महामारी ने एक तरह से त्योहारों की भव्यता व रौनकता पर भी ग्रहण लगा दिया है। कोविड 19 से रक्षा के लिए रक्षासूत्र पर बंधन लग गया है। बहनें चाह कर भी भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं। भाई-बहन के इस पावन त्योहार पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। महामारी में भाइयों की कलाई भी सूनी रह सकती है। हालांकि कोरियर से बहनें भाइयों को रक्षासूत्र भेज रही हैं। वहीं, भाई कोरियर से बहनों को तोहफे भेज रहे हैं। मुस्लिम समाज में ईद का त्यौहार तो वही हिंदू धर्म के लोगों का रक्षाबंधन का त्योहार है। जो भाई-बहन के आराध्य प्रेम का त्यौहार है। जिसको लेकर हर भाई और बहन को इस दिन का बेसब्री से इंतजार है मगर उससे अधिक चिंता है कि कहीं रक्षा सूत्र ही कोरोना वायरस की वजह न बन जाए। भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षा बंधन इस साल तीन अगस्त यानी सोमवार को पड़ रहा है। इस दिन बहन भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई बहन की उम्रभर रक्षा का वचन देता है। सावन महीने के सोमवार को 29 साल बाद रक्षाबंधन कई शुभ संयोग लेकर आया है। लेकिन इस बार त्योहार पर कोरोना का बंधन है। महामारी की वजह से घर में रहकर ही रक्षाबंधन का पर्व मनाना होगा। कोरोना के खतरे ने लोगों के जीने की राह बदल दी है। हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले पर्व का स्वरूप इस साल बदला नजर आ रहा है।
भाई-बहनों के बीच खड़ी हुई कोरोना की दीवार
कोविड 19 के खतरे के चलते इस बार परदेसी भाइयों तक बहनों का प्यार नहीं पहुंच पा रहा है। भाई-बहन के प्रेम के बीच कोरोना की अदृश्य दीवार खड़ी है। सावन शुरू होते ही मीलों दूर रहे भाइयों को रक्षासूत्र भेजने के लिए डाकघर में लाइन लग जाती थी। लेकिन इस साल डाकघर में भी भीड़ नहीं दिख रही है। वहीं, कोरियर संचालक संदीप सिंह ने बताया कि इस साल उत्साह कम दिख रहा है। अब तक 40-50 राखी के लिफाफे बुक किए गए हैं। बीते साल की अपेक्षा बुकिंग कम है।
बरेली से कपिल यादव