गोरखपुर। सरकार यातायात व्यवस्था सुदृढं करने के लिए चाहे जितने नियम बना ले लेकिन जब तक जिम्मेदार अपने कार्यालय की आरामदायक कुर्सियों का मोह नही छोड़ेंगे तब तक व्यवस्था पटरी पर वापस नही आ सकती। वैसे तो पूरे प्रदेश में नवम्बर माह को यातायात माह के रूप में मनाने का काम यातायात से जुड़े विभागों द्वारा किया जाता है लेकिन सीएम सिटी गोरखपुर का तमगा लगाए गोरखपुर शहर में यातायात माह का कोई असर नही दिख रहा है। त्यौहार का सीजन होने और आने वाले लगन के मौसम को देखते हुए बाजारों में हो रही भीड़ के मद्देनजर असुरन चौक से काली मंदिर व मेडिकल रोड़, गोलघर, मोहद्दीपुर, घोषकम्पनी, रेती रोड़, कोतवाली रोड़ पर गुड डे बेकर्स के सामने, गीताप्रेस रोड़, रायगंज रोड, पाण्डेय हाता, घण्टाघर जैसे शहर के तमाम हिस्से जाम के झाम से हांफते नज़र आ रहे हैं। शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में स्थिति बद से बदतर है यहां अंधाधुन व्यवसायिक निर्माण तो हुए लेकिन जीडीए और अन्य विभागों की मिलीभगत से पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई जिसका खामियाजा जाम के रुप में आज जनता को भुगतना पड़ रहा है।
नौसड चौराहे से लेकर महेवा मंडी तक तो स्थिति इतनी बुरी है कि सड़क के दोनों किनारों पर या तो भार ढोने वाले छोटे वाहनों का कब्जा है या फिर ट्रक बस और यहां-वहां खड़ी लगभग एक दर्जन क्रेन ने सड़क को अपने शिकंजे में जकड़े है ।
वहीं दूसरी ओर तमाम नियम कानून को ताक पर रखकर शास्त्री चौक धर्मशाला पैडलेगंज नौसर चौराहा समेत एक दर्जन स्थानों पर अवैध ऑटो चालक शहर की सड़कों पर कब्जा जमाए यातायात व्यवस्था के ताबूत में कील ठोकने का काम कर रहे हैं । हालत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाला काला और पीले रंग से युक्त टेंपो शहर की सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं जबकि नियमानुसार इन्हें शहर की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं है।
बतादें की नवम्बर का महीना यातायात माह के रूप में मनाया जाता है। इस माह में यातायात से जुड़े विभागों द्वारा चौराहे, कस्बा गाँव एंव स्कूलो में लोगो को जाम से सुरक्षित रखने तथा सुरक्षित यात्रा करने की जानकारी देने का प्रावधान है लेकिन यातायात माह का दूसरा दिन होने के बावजूद यातायात जागरूकता का कोई अभियान सड़को पर नज़र नही आया जबकि यातायात माह पर कार्यालय स्तर पर एक कार्यक्रम के आयोजन की तस्वीरें जारी करके जिम्मेदारों ने अपनी पीठ थपथपा लिया।
– मनव्वर रिजवी