मोदी सरकार का राज्यसभा में भी पास हो गया नागरिकता संशोधन विधेयक

नई दिल्ली : लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया। उच्च सदन में इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि 105 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बिल पर वोटिंग से पहले इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजने के लिए भी मतदान हुआ, लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया। सेलेक्ट कमिटी में भेजने के पक्ष में महज 99 वोट ही पड़े, जबकि 124 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया। इसके अलावा संशोधन के 14 प्रस्तावों को भी सदन ने बहुमत से नामंजूर कर दिया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल ऐक्ट में तब्दील हो जाएगा। इस बिल को सोमवार रात को लोकसभा से मंजूरी मिली थी।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह बिल लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती। राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, आज जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे। अमित शाह ने कहा, इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताडि़त लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी, लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि मुसलमानों को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं। आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी, लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है। इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त किए जा रहे हैं, जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रताडि़त लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताडि़त लोग प्राथमिकता नहीं हैं। उन्होंने कहा, नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया, लेकिन वहां लोगों को चुनाव लडऩे से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ।
आज दिलचस्प बात यह रही कि लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के तीन सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। बता दें कि लोकसभा में बिल का समर्थन करने को लेकर महाराष्ट्र में उसके साथ सरकार चला रही कांग्रेस ने शिवसेना से ऐतराज जताया था। इसके अलावा बीएसपी के दो सांसदों ने भी वोटिंग का बहिष्कार किया। नागरिकता संशोधन विधेयक से पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिन्दू, सिख, जैन, ईसाइयों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख और इसाई पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। उन्हें अपने-अपने देश में धार्मिक प्रताडऩा सहना पड़ा है, इसलिए वो भारत आए हैं।

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