शीशगढ़ /बरेली- जहिरदारी का ढोंग करने बालों का बातिन खराब होता है बातिन का मतलब होता है । अंदर छुपी हुई बुराइयों और अच्छाइयों का होना। बुराइयों को दिल से उखाड़ फेंकने का नाम सूफी इज्म है ।
उक्त विचार खानकाहे इरशादया के सज्जादा नशीन पीर सय्यद आबाद मियां जाफरी चिश्ती निजामी ने सालाना उर्स शरीफ के अवसर पर आयोजित सूफी सेमिनार में व्यक्त किये।
खचा खच भारी खानकाह में पीर जीने अपने मुरीदों और अकीदत मंदों को संबोधित करते हुए लोगों से दिल की बुराइयों को दूर करने का पुरजोर आह्वान किया ।
उन्होने कहा कि इस्लाम का जो चेहरा वर्तमान मुल्ला पेश कर रहे है वह इस्लाम नही है ।
इस्लाम तो खुदा के बंदों से मोहब्बत करने की शिक्षा देता है नफरत करने की नही।इस अवसर पर सय्यद फरहाद मियां चिश्ती रामपुरी नायब सज्जादा नशीन ने खूबसूरत नाथे पाक पेश की।
इससे पूर्व पीलीभीत से आये मीलाद बाले हजरत मकसूद भाई और उनके साथियों ने मीलाद शरीफ प्रस्तुत किया। उर्स में शिरकत करने बालों में छोटे भेजी जलील अहमद, जकिर शाह, हाजी हामिद चौधरी, इश्तियाक अहमद, गुलाम साबिर, शकील अहमद ने भाग लिया।
– मो0 अज़हर शीशगढ बरेली