बिना संसाधन के ही कोरोना से जंग लड़ रही आशाएं

बरेली। कोरोना काल में जब संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में आशाओं को बिना किसी उपकरण व संसाधन के ही ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उतार दिया गया है। पर्याप्त सुविधा न होने पर कई आशाएं कोरोना की चपेट में आ चुकी हैं। खास बात यह है कि अधिकांश प्रसूताओं के खातों में सरकार द्वारा भेजे गए निर्धारित पैसे भी नहीं डाले गए हैं। पैसे न आने की वजह पूछे जाने पर कई आशाओं के साथ बदसलूकी भी की जाती है। जिसकी शिकायत कई बार की गई पर किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। आशा कमलेश देवी का कहना है कि उन्हें व उनकी टीम को शहर में कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में जांच करने व लोगो के परीक्षण करने को भेजा गया था। पर किसी प्रकार की किट उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसकी वजह से उनके साथ ही दो आशाएं कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। उनका मानना है कि यदि स्वास्थ्य विभाग द्वारा किट मास्क आदि मुहैया करा दिया जाता तो ऐसी स्थिति उत्पन्न न होती। मझगवां ब्लॉक में मार्च 2020 से जुलाई तक का गृह भ्रमण अन्य डिलीवरी का कोई पैसा नहीं पड़ा है। आशाओं ने जिलाध्यक्ष से शिकायत की तो उन्होंने डॉ वैभव से फोन पर कहा कि आपके ब्लॉक में पैसे क्यों नहीं पढ़ रहे हैं और आशाओं से पैसे क्यों मांगे जाते हैं। लज्जा देवी बीसीपीएम से डॉक्टर बैभव से कहा कि आप कौन होती हो यह सब पूछने वाली। इस पर उन्होंने कहा कि मैं शिववती साहू आशाओं की जिला उपाध्यक्ष और इस बाबत पूछने का मुझे पूरा अधिकार है। जिलाध्यक्ष राम श्री गंगवार का कहना है कि जिले में विभिन्न ब्लाकों पर आशाओं को कोरोना संक्रमण के परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। इस दौरान उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा न तो मास्क उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही थर्मल स्कैनर। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें थर्मल स्कैनर न मिलने से वह घरों में जाकर लोगों से पूछ कर ही काम की इतिश्री कर लेती हैं। श्रीमती साहू का कहना है कि ब्लॉक में अनेक योजना के तहत पैसा खाते में उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। जब क्षेत्र के लोगों की शिकायत व संबंधित अधिकारी से करती हैं तो वह उन्हें किसी आधार से पूछने की बात कहते हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि प्रसूताओ के खाते में पैसे न डाले जाने से संबंधित आशाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं।।

बरेली से कपिल यादव

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