बाजारों में बांट रहे है समाजसेवी राहत: पहाड़ के गावों तक नहीं पहुच रही कोई भी राहत

पौड़ी गढ़वाल : आपको विदित होगा कि पहाड़ से पलायन के चलते गाओं में केवल बुजुर्ग ही बचे हैं आज लॉकडाउन के चलते न तो वे स्थानीय बाजार तक पहुच पा रहे हैं ना उन तक कोई नेता समाजसेवी पहुच रहे हैं

स्वास्थ्य सुविधा के हाल भी बुरे है नजदीक में अस्पताल न होने और लॉकडाउन के चलते मेडीकल सुविधा भी नहीं मिल पा रही है सरकार को सोचना चाहिए कि पहाड़ के हर गांव में बुजुर्गों के लिए राशन मेडिकल व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाय

कोरोना महामारी के चलते पहाड़ो में बड़ी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं प्रशासन की सख्त हिदायत के बाबजूद उनकी रिपोर्ट स्थानीय जनप्रतिनिधि प्रशासन को नही दे पा रहे हैं बिना मेडिकल जांच करवाये आ रहे है प्रवासी अपने गाओं में जिसका खामियाजा महामारी के रूप में झेलना पड़ सकता है। पहाड़ियों को मीडिया टीम ने सतपुली व लैंसडाउन रिखणीखाल वीरोखाल पोखड़ा चौबटयाखाल आदि छेत्रो के गाओं का दौरा किया जिससे मालूम हुआ कि केवल राहत बाजारों तक ही सीमित है गांव में तो बुजुर्ग केवल इंतजारी पर है ।

बुजुर्ग लोग अपनी पेंसन लेते लेकिन लॉक डाउन के चलते वे बैंक भी नही जा सकते क्योंकि गाओं की पहुच से बैंक भी 20 से40 किलोमीटर दूरी पर है और यदि वो जाना भी चाहते हैं तो जाए किससे गाड़िया तो बन्द है ATM ग्रमीण छेत्रों में है ही नही ओर यदि होते भी तो बुजुर्ग atm को हैंडल करना नही जानते ।

अब स्थिति ऐसी बनी है कि दुकान में राशन तो है पर जेब में पैसा नहीं है यदि ऐसा ही रहा तो जल्दी ही पहाड़ी छेत्रो में भुखमरी फैल सकती है कोरोना से कोई मरे न मरे पर भूख से अवश्य मर सकता है ।

सभी विकासखण्ड में कई प्रवासी गाओं में आ चुके हैं लेकिन उनकी सूचना प्रशासन को नही है उनका कहना है कि हमे प्रवासी भाइयों से कोई गिला शिकवा नही है वो आएं अपने गाओं में आखिर उनका गांव है स्वागत है उनका गांव वापसी में।

हकीकत है आज अपने परिवार और समाज के दायित्वों के निर्वाह के लिए ही अपनी जन्म भूमि से दूर हुआ है हम सभी पहाड़ वासी भाई बहनों को प्रवासी समाज की पीडा जरुर समझनी चाहिए हम भी आप लोगों का सम्मान करते हैं।

– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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